हरियाणा: सुनील चौहान। हरियाणा प्रदेश के हजारों जवानों ने द्वितीय विश्वयुद्ध में नेता जी सुभाष चंद्र बोस के आह्वान पर बिर्टिश आर्मी से बगावत कर भारत को आजादी दिलाने के लिए ब्रिटिश आर्मी से लड़ते हुये शहादत पायी या बाद में पकड़े गये, इन सैनिकों ने यातनाएं सहते हुए जेलों में सजा भी पायी। इसके बावजूद उनकी विधवाओं की स्वतंत्रता सेनानी सम्मान पेंशन फाइल दफ्तरों में रखी हुई हैं। उनका इंडियन आर्मी रिकॉर्ड नॉमिनल रोल ढूंढ़कर दफ्तरों में भी काफी सालों से पहुंचाया गया है,लेकिन उनके नाम स्मारकों गौरवपटों में ब्रिटिश आर्मी शहीद होने की गौरवगाथा में भी लिखा है। रेवाडी के भगती नगर निवासी श्रीभगवान फोगाट कई सालों ने भारत के इन वीर शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों के लिये लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे हैं।
उन्होंने बताया कि स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़े यह मामलें कई बार मीडिया में सुर्खियों में रहे,मगर अब रिकॉर्ड परिवारों तक पहुचने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है। फौगाट का दावा है कि दूसरे विश्वयुद्ध में नेताजी की तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा की अपील पर ब्रिटिश आर्मी के अनगिनत सैनिकों ने उनका साथ राष्ट्र को पराधीनता की बेड़ी से मुक्ति के लिये दिया था, मगर भारत को स्वतंत्रता मिलने बाद अब करीब 74 वर्ष होने जा रहे हैं, मगर भारत के उन वीर सपूतों के परिवारों को वह सम्मान नहीं मिला,जिसके वे हकदार थे। यहां तक की इन परिवारों के सदस्य अपने जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों के पास भी अर्जियां देकर थक चुके हैं।
फौगाट ने बताया कि वह निजी रुप से राजनेताओं और अधिकारियों के समक्ष यह मुद्दा उठा चुके हैं और लिखित में जानकारी दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि जिन वीर सपूतों ने भारत को आजाद कराकर हमें आजादी दिलाई, उनके लिये वह आखिरी सांस तक लड़ाई लड़ते रहेंगे। श्रीभगवान फौगाट ने बताया कि उनकी इस लड़ाई में मीडिया का विशेष सहयोग मिल रहा है, जिसका वह दिल से आभार प्रकट करते है।