किसान आंदोलन को गति देने के लिए खाप पंचायतों ले लिए अहम फैसले
जींदः खटकड़ टोल धरने पर सर्व समाज सर्व खाप की मंगलवार को महापंचायत हुई। इस महापंचायत में भाकियू प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी, किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने हिस्सा लिया। सांकेतिक भूख हड़ताल पर नफे सिंह बड़ौदी, जिले सिंह तारखां, सुमित घासो कलां, बलजोर बरसोला, मेवा सिंह मोहनगढ़ छापड़ा रहे।
महापंचायत में सर्वसम्मति से छह फैसले लिए गए।
1. हर घर से एक व्यक्ति दिल्ली बॉर्डर पर पहुंचेगा।
2. इसके लिए गांव-गांव, घर-घर जाकर प्रेरित किया जाएगा।
3. 25 अप्रैल को भाजपा का प्रस्तावित कार्यक्रम जींद में होता है, तो इसका विरोध किया जाएगा।
4 यह कार्यक्रम भाजपा आयोजित न करे, इसको लेकर 21 अप्रैल को डीसी को ज्ञापन भी किसान नेता देंगे।
5 आगजनी से जली फसल का मुआवजा सरकार दे।
6 क्षति पूर्ति कानून जो सरकार लेकर आई है उसको रद किया जाए।
सभी किसान, मजदूर अपने मकानों, वाहनों पर राजनीतिक दल का झंडा न लगाकर किसान यूनियन का झंडा लगाएं।
खाप प्रतिनिधियों की टीम जाएगी घर-घरः
खाप पंचायत प्रतिनिधि किसानों के साथ टीम बना कर गांव-गांव जाकर आंदोलन को लेकर एक घर से एक व्यक्ति की हिस्सेदारी दिल्ली बॉर्डर पर पहुंचने के लिए प्रेरित करेंगे। सरकार कोरोना संक्रमण के नाम पर अगर आंदोलन कर रहे किसानों के धरनों के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ करती है और कोई नुकसान होता है, तो इसके जिम्मेदार सरकार व प्रशासन होंगे। इस मौके पर रघुबीर नैन, फकीर चंद, दिलबाग पिल्लुखेड़ा, टेकराम कंडेला, महेंद्र सिंह रढ़ाल, समुंद्र सिंह लाठर, सोमदत्त शर्मा, चंद्र चहल, कुलदीप ढांडा, सरजीत बड़ौदा, उदयवीर बरसोला, कुलदीप सरपंच, कविता सरपंच मौजूद रहे।
कृषि कानूनों की पहली मार गरीब पर पड़ेगी : गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि सरकार की मंशा किसानों के खिलाफ है। जो सर्व समाज, सर्व खाप ने फैसले लिए हैं, किसान उसके साथ है। कृषि विरोधी तीनों कानूनों की सबसे पहली मार अगर पड़ेगी, तो वो गरीब पर पड़ेगी। इन कानूनों को रद करवाने की मांग को लेकर चार महीनों से दिल्ली बॉर्डर पर किसान शांतिपूर्वक धरना दे रहे हैं। सरकार की मंशा कई बार जवान, किसान को लड़वाने की हो चुकी है। किसान आज अपना हक सरकार से मांग रहा है।