रेवाड़ी: बिजली निगम की ओर बिजली चोरी पर अंकुश लगाने के लिए चोरी पकडने का अभियान चलाया हुआ हैं। इसी अभियान के चलते निगम की ओर से एक उपभोक्ता पर की गई बिजली चोरी की कार्यवाही निगम पर भारी पड़ गई।
इन एप्लिकेशनों को न करें इंस्टाल, अन्था हो जाएगा बैंक खाली… जानिए कौन कौन सीनिगम की कार्यवाही के खिलाफ उपभोक्ता कोर्ट में केस दायर कर दिया। कोर्ट में निगम के अधिकारी बिजली चोरी के कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाए। साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाने के कारण कोर्ट ने निगम द्वारा उपभोक्ता पर की गई बिजली चोरी की कार्यवाही को रद्द कर दिया है। इनता ही नहीं निगम अधिकारियो का कोर्ट की ओर जमकर लताड भी लगाई।
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अधिवक्ता अरुण गुप्ता ने बताया कि वर्ष 2016 में निगम की ओर से पुराने मैकेनिकल मीटरों को घरों के अंदर से हटाकर बाहर इलेक्ट्रोनिक मीटर लगाए गए थे। इस दौरान शहर के तोपचीवाड़ा निवासी उपभोक्ता सुरेश भाटिया का भी मीटर बदला गया था।
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जबकि पुराने मीटर सालों से सही चल रहे थे। उसके बाद निगम की ओर से उपभोक्ता सुरेश भाटिया को बिजली चोरी करने बारे नोटिस देकर 55 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया। जबकि निगम द्वारा न ही ऐसी कोई जांच की गई और न ही मौके पर चोरी पकड़ी गई। जब उपभोक्ता द्वारा निगम से जुर्माना लगाए जाने का कारण पूछा तो उन्हें जुर्माना भरने के लिए कहा गया। वहीं उपभोक्ता को जुर्माना निर्धारित करने के बारे भी कोई जानकारी नहीं दी गई।
निगम के दबाव से परेशान होकर उपभोक्ता ने उनके माध्यम से निगम की कार्यवाही को कोर्ट में चुनौती दी। जब न्यायालय द्वारा पूरे मामले की जांच की तथा निगम से जवाब मांगा गया तो पाया कि विभाग ने मनमाने तरीके से गलत कार्यवाही की है।
वहीं निगम द्वारा ऐसा कोई साक्ष्य भी नहीं प्रस्तुत किया गया कि जिससे उपभोक्ता द्वारा चोरी किया जाना साबित हो सके। पुराने और नए दोनों मीटर में एक जैसी ही बिजली खपत आ रही थी। अब न्यायालय ने निगम की कार्यवाही को रद्द करते हुए उपभोक्ता के दावे को कोस्ट सहित स्वीकार कर लिया है।
















