हरियाणा: नई दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में संत महापुरुष सम्मान एवं विचार प्रचार योजना के तहत समारोह आयोजित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल बतौर मुख्यातिथि हेमचंद्र विक्रमादित्य की स्मृति में एक डाक टिकट जारी करेंगे।
दिल्ली की गद्दी पर किया था राज
दिल्ली की गद्दी पर राज करने वाले हिंदू सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य का राज्याभिषेक दिवस शनिवार को दिल्ली में मनाया जाएगा। उन्हें हरियाणा सरकार की तरफ से विशेष सम्मान देते हुए यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।NCR Crime: हरियाणा समेत 12 राज्यों का मोस्ट वांटेड एक लाख का इनामी अपराधी एमपी के काबू, फिल्मी स्टाइल में करता है वारदात
रेवाड़ी में पले.बढ़े हेमचंद्र विक्रमादित्य को हेमू के नाम से भी जाना जाता है। रेवाड़ी शहर के कुतुबपुर में उनकी आज भी पुरानी हवेली उनकी यादों को संजोए हुए है। इतिहास में हेमचंद्र विक्रमादित्य के नाम कई कीर्तिमान हैं।
करीब 450 साल पहले मध्यकालीन भारतीय इतिहास में 22 युद्दों में लगातार विजयी रहने वाले हेमू ने अकबर की फौज को हराकर दिल्ली की गद्दी पर राज किया था। हेमचंद्र विक्रमादित्य ऐसे हिंदू राजा थेए जिनमें वीरताए रणनीतिक कौशल और राजनीतिक दूर दृष्टि का अद्भुत मेल था।
डॉ. अमित अग्रवाल ने सम्राट हेमू के शुरूआती जीवन और हरियाणा के रेवाडी में आकर बसने के संबंध में प्रकाश डालते हुए बताया कि इतिहासकारों के अनुसार सम्राट हेमू का जन्म सन् 1501 में राजस्थान के अलवर जिले के ‘मछेरी’ नामक एक गांव में राय पूर्ण दास के यहां हुआ था।
इनके पिता पुरोहिताई का कार्य करते थे व सन् 1516 में व्यापार करने के लिए मछेरी से रेवाड़ी चले आए। रेवाडी उन दिनों एक अच्छा-खासा व्यापार केन्द्र था और रेवाड़ी में रहते हुए ही सम्राट हेमू ने अपनी शिक्षा ग्रहण की और विभिन्न भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया।
अलवर में हुआ जन्म
इतिहासकारों के अनुसारए सम्राट हेमू का जन्म 1501 में राजस्थान के अलवर जिले में गांव मछेरी नामक एक गांव में राय पूर्णदास के यहां हुआ था। इनके पिता पुरोहिताई का कार्य करते थे। सन 1516 में व्यापार करने के लिए मछेरी से रेवाड़ी चले आए। रेवाड़ी उन दिनों एक अच्छा.खासा व्यापार केंद्र था और रेवाड़ी में रहते हुए ही सम्राट हेमू ने अपनी शिक्षा ग्रहण की और विभिन्न भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया।करोंडो रूपए की लागत से रेलवे स्टेशन पर लगाए ई टिकट एटीएम बने कबाड, जिम्मेदार कौन?
1 हजार साल पुरानी हवेली आज भी
रेवाड़ी का इतिहास महाभारत काल से भी पुराना बताया जाता है। अलग.अलग शताब्दी में अलग.अलग विशेषताओं के साथ रेवाड़ी का इतिहास जुड़ा हुआ है। 16वीं शताब्दी में रेवाड़ी का इतिहास अंतिम हिन्दू शासक सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य के नाम से जाना जाता है। सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य कि हवेली आज भी रेवाड़ी शहर के कुतुबपुर में स्थित है।
रेवाडी मे है आज भी हवेली
रेवाडी में हेमू की एक हवेली है। बताया जा रहा है कि यह करीब 1 हजार साल पुरानी है। करीब 700.800 वर्ग गज में फैली है तथा इस हवेली से हेमू की यादें जुड़ी हुई हैं। इसी हवेली में रहकर हेमू पले.बढ़े और आगे चलकर हिंदू सम्राट बन गए।