भिवाड़ी: भिवाड़ी नगर परिषद के पूर्व सभापति Sandeep Dayma सहित दो लोगों पर ACB में FIR दर्ज हुई हैं। भिवाड़ी नगर परिषद में संदीप दायमा के कार्यकाल में 59724951 रुपये का गबन पाया गया ।Jyotish: व्यापार में है घाटा, तनाव से है परेशान, इन मंत्रों का करें जाप, होगा फायदा
गबन में तीन मुख्य आरोपी है
1. संदीप दायमा तत्कालीन सभापति
2. राघव सिंह मीणा तत्कालीन आयुक्त
3. सवाई सिंह भाटी तत्कालीन रोकड़पाल
जांच में ये मिली गड़बड़ी : जांच के अनुसार बिल वाउचर प्रमाणित नहीं थे। नोट शीट पर सभापति के हस्ताक्षर नहीं थे। प्रिंटेड हस्ताक्षर वाली स्टाम्प से भुगतान की कार्रवाई संपादित की गई। आयुक्त के हस्ताक्षर व मोहर फोटो स्टेट की तरह उपयोग किए गए। टेंडर से लेकर भुगतान आदेश तक किसी अधिकारी कर्मचारी ने तिथि अंकित नहीं की। अलग से स्टॉक रजिस्टर व अतिरिक्त डिस्पेच रजिस्टर खोला गया। भुगतान के लिए बनावटी जाली बिल लगाए गए। वाउचर पत्रावली में से कुछ वाउचर जांच दल को नहीं दिए गए। परिषद अधिकारी-कर्मचारियों ने प्रत्येक भुगतान पत्रावली सभापति के समक्ष पेश नहीं कर सभापति के हस्ताक्षरों की प्रिंटेड मोहर उपयोग में ली। कुछ वाउचर में लेखाकार हरीश कुमार के हस्ताक्षर में भिन्नता मिली। 2.23 करोड़ के चेक रोकड बही में इंद्राज नहीं किए गए।
जीएसटी नंबर बोगस : मैसर्स रवि कुमार ने सफाई का ठेका लिया, उसने जो टिन और जीएसटी नंबर दिया उस पर एमआर इंटरप्राइजेज इंजीनियरिंग पंजीकृत थी। इस तरह मैसर्स प्रीतम ने बारिश में सफाई एवं मजदूर आपूर्ति का ठेका लेने में जो टिन एवं जीएसटी नंबर दिया उस पर श्रीनाथ ट्रेडर्स जयपुर की फर्म पंजीकृत थी। इस तरह करीब 3.32 करोड़ रुपए का भुगतान नौ फर्मों को 19 बार किया गया।
जांच में ये मिली गड़बड़ी : जांच के अनुसार बिल वाउचर प्रमाणित नहीं थे। नोट शीट पर सभापति के हस्ताक्षर नहीं थे। प्रिंटेड हस्ताक्षर वाली स्टाम्प से भुगतान की कार्रवाई संपादित की गई। आयुक्त के हस्ताक्षर व मोहर फोटो स्टेट की तरह उपयोग किए गए। टेंडर से लेकर भुगतान आदेश तक किसी अधिकारी कर्मचारी ने तिथि अंकित नहीं की। अलग से स्टॉक रजिस्टर व अतिरिक्त डिस्पेच रजिस्टर खोला गया। भुगतान के लिए बनावटी जाली बिल लगाए गए। वाउचर पत्रावली में से कुछ वाउचर जांच दल को नहीं दिए गए। परिषद अधिकारी-कर्मचारियों ने प्रत्येक भुगतान पत्रावली सभापति के समक्ष पेश नहीं कर सभापति के हस्ताक्षरों की प्रिंटेड मोहर उपयोग में ली। कुछ वाउचर में लेखाकार हरीश कुमार के हस्ताक्षर में भिन्नता मिली। 2.23 करोड़ के चेक रोकड बही में इंद्राज नहीं किए गए।
बैंक से आहरित राशि को रोकड बही में दर्ज नहीं किया गया। बैंक से 41 बार में 2.21 करोड़ की राशि निकाली गई। नगर पालिका लेखा नियम 1963 के नियम 78 के तहत कैश बुक फार्म नंबर 34 में दर्ज प्राप्तियों और व्यय की तुलना पासबुक के साथ आइटम वाइज की जानी थी, जो कि नहीं की गई । इसके लिए तत्कालीन सभापति, आयुक्त और रोकडपाल जिम्मेदार हैं।
तत्कालीन आयुक्त ने ऑडिट टीम के सामने गड़बड़ी की आशंका जताई थी। दो-तीन बार ऑडिट टीम ने जांच की। जांच में एक वित्तीय वर्ष में ही बड़ा गबन पाया गया। पुलिस में मामला दर्ज हुआ, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की। स्थानीय लोग एवं जन प्रतिनिधियों ने मुझसे गबन की जांच कराने के लिए कहा। इसके आधार पर मैंने परिवाद दर्ज कराया था। -संदीप यादव, एमएलएए तिजारा
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ACB ने तिजारा विधायक Sandeep Yadav Mla की शिकायत पर जाँच कर FIR दर्ज की गई।