हरियाणा: भारत के लिए यह दुर्भाग्य की बात है कि आज भी एक चौथाई केस टीबी के है भारत में होते हैं। लेकिन इसका पता लगाने हेतु मरीज की हिस्ट्री, जांच वा डॉक्टर का अनुभव अत्यधिक महत्वपूर्ण है महिलाओ में गर्भाश्य तथा नाले गर्भाशय के टीवी बहुत ही कॉमन है ऐसे में महिलाओं को आमतौर पर या तो मासिक काम आता है या फिर बच्चे नहीं होते।Haryana: कुदरत की मार, किसान लाचार, हे भगवान ये क्या हो रहा है
टीवी से प्रभावित कुल मरीजों में से लगभग 6 से 10 परसेंट को इनफर्टिलिटी की प्रॉब्लम होती है। नलों में रुकावट आ जाती हैं, सूजन या मवाद पड़ जाती है या फिर गर्भाशय भीतर से चिपकने लगता है। महीना कम आता है या बार-बार आता है। कोई भी महिला यदि संतान विहीनता से पीड़ित हैं तो उसे नलों कि या गर्भाशय की टी बी भी हो सकती है ।
यह इन्फेक्शन या तो ट्यूब में होता है या फिर जहां टयूब गर्भाशय से जुड़ी होती है यानी कि कोरणुआ पर होता है आमतौर पर गर्भाशय में यह गर्भाशय के निचले स्तर पर रहता है टीवी की जांच के लिए खून में ई एस ए और मूंटुक्स टेस्ट किया जाता है जो इंफेक्शन का अंदाजा देते हैं। बैक्टीरिया को मवाद अथवा नलों में मौजूद पानी में से कभी कभी निकाला जा सकता है।
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टीवी का कीटाणु माइकोबैक्टेरियम कभी-कभी ट्यूब में टीबी की छोटी छोटी गांठे हो जाती हैं जो कि दूरबीन द्वारा जांच पर ही मिलती हैं। समय पर इलाज होने पर महिला गर्भवती भी होती है तथा मासिक की समस्या भी हल हो जाती है यह ना तो इनफेक्शियस है।
गर्भाशय की टीवी एक आदमी से दूसरे को नहीं फैलती है इसके लिए जरूरी नहीं है आपका वजन गिर रहा है या आपको भूख नहीं लग रही है। तो आप तुरंत डॉक्टर के पास जाएं यदि आपको गर्भ नही ठहर रहा या मासिक में दिक्कत हो तो तुरंत अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिले।