जब सरकार का काम करते है तो सरकारी कर्मचारी का दर्जा क्यों नहीं

रेवाड़ी। आंगनबाड़ी वर्कर एवं हेल्पर तालमेल कमेटी की जिला इकाई की ओर से मांगों के लिए प्रदर्शन जारी रहा। स्थानीय नेताजी सुभाष पार्क में हुई सभा की अध्यक्षता आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका यूनियन के जिलाध्यक्ष तारा देवी व राजबाला ने की। उन्होंने कहा कि जब उनसे सरकारी काम कराया जाता है तो उन्हें सरकारी कर्मचारियों का दर्जा भी देना चाहिए। सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है।

कार्यकर्ताओं ने जताया रोष: प्रधान तारा देवी ने बताया कि सरकार को उन्हें न्यूनतम वेतन 24000 रुपये व हेल्पर को 16000 रुपये देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार आंगनबाड़ी केंद्रों को एनजीओ को सौंप रही है। इसका जोरदार विरोध किया जाएगा। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का इतना सीमित वेतन होने के बावजूद कभी भी समय पर मानदेय नहीं दिया जाता है। वहीं, घोषणा वर्कर को 1500 रुपये हेल्पर को 750 रुपये आज तक लागू नहीं की गई है। 2018 के समझौते के तहत बहुत सारी मांगे अभी भी लागू नहीं की गई है। इस अवसर पर कृष्णा यादव, संतरा देवी, बीना, राजबाला, आशा, सुमन, गीता, अनीता, संतोष, राजवंती, शांति, बिमला, संतरा आदि मौजूद रहे।

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27 को सीएम से करेंगे मुलाकात
हरियाणा प्रदेश की 52000 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका तालमेल कमेटी के आह्वान पर 8 दिसंबर से जिला मुख्यालय पर जारी आंदोलन के दबाव में हरियाणा सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की प्रतिनिधियों की एक बैठक समस्याओं पर वार्ता के लिए 24 व 27 दिसंबर को पंचकुला में बुलाई है। 27 दिसंबर को मुख्यमंत्री उनसे मुलाकात करेंगे। एआईयूटीयूसी के राज्य प्रधान कॉमरेड राजेंद्र सिंह एडवोकेट ने कहा की आगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की 16 सूत्री मांगे हैं।

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मांगें नही मानी जब तक आंदोलन रहेगा जारी: इनमें मुख्य रूप से सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने, जब तक 24000 आंगनबाड़ी वर्कर व 16000 रुपये हेल्पर को दिए जाएं। पोषण ट्रैक की स्कीम को वापस किया जाए। कॉमरेड राजेंद्र सिंह ने कहा कि जब तक आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मांगें नहीं मानी जाएंगी, यह आंदोलन जारी रहेगा।