हरियाणा: सुनील चौहान। प्रशासन दोषियों पर कार्रवाई को लेकर कितना सक्रिय है, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तीन माह से ज्याद समय बितने के बावजूद रेवाड़ी के विराट अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के कारण 4 कोविड-19 के मरीजों की मौत की जांच केवल कागजो में हो रही है। जिला प्रशासन व गृह मंत्री के आदेश के चलते पहले यह जांच 48 घंटे में पूरी होनी थी, लेकिन उसके बाद से बार-बार डेडलाइन बदल रही है। जिन परिवारों के लाल प्रशासन या फिर अस्पताल की लापरवाही से खो गए, उनको न्याय नहीं मिल रहा है।
तीन माह बाद भी कोई कार्रवाई नही: 3 माह बीत जाने के बावजूद आज तक मामले में न तो अस्पताल की लापरवाही सामने आ पाई और न ही स्वास्थ्य विभाग के किसी अधिकारी की लापरवाही उजागर हो पाई है। इसके पीछे कौन से राज छिपे हैं, यह जांच रिपोर्ट में ही सामने आ सकता है। शक इसलिए ज्यादा गहरा जाता है कि इसी दिन हिसार के भी एक प्राइवेट अस्पताल में भी ऑक्सीजन की कमी से कोरोना संक्रमितों की मौत हुई थी। हिसार मामले में केस भी दर्ज हो चुका है। लेकिन रेवाड़ी के मामले की फाइल दबी हुई है।
भ्रष्टाचार चरम पर: भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। गौरलतब है कि रेवाड़ी में सर्कुलर रोड स्थित विराट अस्पताल में 25 अप्रैल को ऑक्सीजन की कमी के कारण कोरोना संक्रमित सुशीला, मनीषा, कृष्ण व कुलदीप की मौत हुई थी। मामला गंभीर होने के कारण उस समय रेवाड़ी का चार्ज संभाल रहे नारनौल के डीसी अजय कुमार ने तत्कालीन एडीसी राहुल हुड्डा को जांच सौंपते हुए 48 घंटे के भीतर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था।
पहले तो जांच शुरू होने में देरी हुई और उसके बाद एडीसी कोरोना संक्रमित हो गए। इसी बीच हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने मामले में संज्ञान ले लिया। मानव अधिकार आयोग के संज्ञान के बाद एक बार तो लगा कि अब जल्द ही जांच पूरी हो जाएगी, लेकिन मामले में कुछ नहीं हुआ। तीन महीने बीत जाने के बाद भी जांच का कोई अता-पता नहीं, केस दर्ज होना तो दूर की बात लगती है।
ग्रीवेंस की मीटिंग में भी उठा था मामला:
पिछले महीने शहर के बाल भवन में हुई ग्रीवेंस की मीटिंग में भी मामला गूंजा था। बैठक की अध्यक्षता करने वाले राज्यमंत्री ओमप्रकाश यादव ने डेडलाइन को 15 दिन ओर बढ़ाते हुए एडीसी को जांच रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था। इस दौरान एडीसी का ट्रांसफर हो गया। उसके बाद से ही जांच रिपोर्ट अटकी हुई है। हालांकि सरकारी सूत्रों के अनुसार, तत्कालीन एडीसी राहुल हुड्डा इस मामले में निजी अस्पताल से लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों तक के बयान दर्ज कर चुके है।
चीख से ज्यादा दबाव आ रहा काम:
घटना वाले दिन ऑक्सीजन की कमी के कारण विराट अस्पताल के बाहर चीख-पुकार मची हुई थी। लोग जमकर स्वास्थ्य विभाग को कोस रहे थे, लेकिन ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई 4 लोगों की मौत पर आखिर कहीं न कहीं दबाव काम आ रहा है। यही वजह है कि जांच रिपोर्ट को पेडिंग किया जा रहा है। अभी तक इस मामले में लापरवाही बरतने वाले लोगों के चेहरे बेनकाब नहीं हो पाए हैं।
DC ने क्या कहा:
DC यशेन्द्र सिंह ने कहा कि पहले ADC कोरोना पॉजिटिव हो गए थे। उसके बाद वह छुट्टी पर चले गए। अब उनका ट्रांसफर हो चुका है। नए ADC ने अभी चार्ज नहीं संभाला है। इस सप्ताह चार्ज संभालते ही वे एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देंगे।