रेवाड़ी के मीरपुर के फौजी जगमाल का भाी 45 साल बाद बर्फ में दबा मिला था शव
गाजियाबाद/ उत्तराखंड: उत्तराखंड में हिमालय की पहाड़ियों में गाजियाबाद के फौजी अमरीश त्यागी की लाश 16 साल बाद बर्फ में दबी मिली है। हिसाली गांव निवासी अमरीश त्यागी भारतीय सेना में पर्वतारोही फौजी थे। 23 सितंबर 2005 को वह सतोपंथ चोटी पर तिरंगा फहराने के बाद लौटते वक्त खाई में गिर गए थे।
अमरीश की लाश अब 23 सितंबर 2021 को उत्तराखंड के जोशीमठ इलाके में बर्फ में दबी मिली है। हालांकि, बर्फ हटने और हवा के संपर्क में आने से शरीर में सड़न-गलन शुरू हो गई है। उम्मीद है कि एक-दो दिन में पार्थिव शरीर पैतृक गांव पहुंचेगा, जहां अंतिम संस्कार होगा।
इससे पहले भी बर्फ में मिलते रहे हैं सैनिकों शव
इससे पहले भी कई बार ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। हिमाचल और उत्तराखंड की बर्फीली वादियों में 45 साल पुरानी लाश तक दबी मिली है। पानी और हवा की पहुंच नहीं होने के कारण कई-कई फुट नीचे माइनस टेम्प्रेचर में दबी लाशें सालों तक सुरक्षित रहती हैं। ग्लोबल वार्मिंग के असर से जैसे ही बर्फ पिघलनी शुरू होती है, वैसे ही ये शव दिखने लगते हैं।
1968 में प्लेन क्रैश हुआ, 2013 में लाश मिली
7 फरवरी 1968 को चंडीगढ़ से भारतीय वायुसेना के एन-12 विमान ने 98 जवानों को लेकर लद्दाख के लिए उड़ान भरी थी। हिमाचल के चंद्रप्रभा पर्वत श्रृंखला में खराब मौसम की वजह से विमान क्रैश हो गया। सारे जवान लापता हो गए।
हवलदार जगमाल सिंह निवासी गांव मीरपुर, रेवाड़ी (हरियाणा) का शव 45 साल बाद 16 अगस्त 2013 को हिमाचल प्रदेश के चंद्रभागा क्षेत्र में बर्फ में दबा हुआ मिला। दाएं हाथ पर बंधी सिल्वर डिश पर आर्मी नंबर से उनकी पहचान हुई। 45 साल बाद 4 सितंबर 2013 को मीरपुर गांव में शहीद के शव का अंतिम संस्कार हुआ।
खाई में गिरे, सेना ने बताया ऑपरेशन मेघदूत में मारे गए
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में कुरदैया गांव निवासी गयाप्रसाद 15 राजपूत बटालियन में हवलदार थे। वह 1996 में अपने साथियों संग सियाचिन में ड्यूटी पर थे। अचानक वह बर्फीली खाई में गिर गए। उन्हें खोजने के लिए चलाए गए तमाम ऑपरेशन बेनतीजा साबित हुए।
अगस्त 2014 में एक खोजी दल को उनकी लाश उत्तरी ग्लेशियर के खंडा और डोलमा पोस्ट के बीच बर्फ में दबी मिली। जबकि 1999 में सेना ने गयाप्रसाद के परिजनों को एक पत्र भेजकर जानकारी दे दी थी कि वे पाकिस्तानी सेना के खिलाफ चलाए गए ‘ऑपरेशन मेघदूत’ में शहीद हो गए।
हिम दरार में गिर गए थे महाराष्ट्र के टीवी पाटिल
महाराष्ट्र के टीवी पाटिल सेना में हवलदार थे। सियाचिन में ड्यूटी के दौरान 27 फरवरी 1993 को वह एक हिम दरार में गिर गए थे। 21 साल बाद अक्टूबर 2014 में एक पेट्रोलिंग टीम को उनका शव बर्फ में दबा मिला। तापमान शून्य से भी नीचे होने के चलते उनका शव पूरी तरह सुरक्षित था। सैनिक की जेब में रखी परिवार की एक चिट्ठी और मेडिकल सर्टिफिकेट से उनकी पहचान हुई। इसके बाद पैतृक घर पर उनका शव लाया गया।
मां-बाप की आखिरी इच्छा नहीं हो सकी पूरी
विनेश त्यागी ने बताया कि अमरीश उस वक्त डीजीएमआई साउथ ब्लॉक दिल्ली के पीए पद पर थे। 23 सितंबर 2005 को यह हादसा हुआ था। उन दिनों आर्मी ने कई दिन तक बचाव-खोजी अभियान चलाया। उत्तराखंड में मौसम खराब होने की वजह से सफलता नहीं मिली थी। उनके पिता राजकुमार का 10 साल पहले और मां विद्यावती का 4 साल पहले निधन हो चुका है। दोनों की आखिरी इच्छा थी कि बेटे के दर्शन कर लें, जो अधूरी रह गई।