किरायेदारों को बना दिया मकान मालिक
रेवाड़ी: सुनील चौहान। प्रापर्टी आईडी बनाने के नाम पर हुए सर्वे में नगर परिषद ने करोड़ों रुपये की संपत्ति का मालिक किरायेदारों को ही बना दिया। मनमाने तरीके से किए गए प्रॉपर्टी सर्वे के दौरान जो मिला उसी का नाम दर्ज कर दिया गया। इसके अलावा जहां पर खाली प्लॉट थे, उनको खाली छोड़ दिया गया। ऐसे मामले शहर सेक्टर-4 सहित अन्य सेक्टरों में आए हैं। अब नाम ठीक कराने के नाम पर शहरवासियों को नप कार्यालय के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। इसके बाद भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलने से उनकी परेशानी बढ़ गई है।
नगर परिषद के मुताबिक शहर में कुल 51 हजार प्रापर्टी पंजीकृत हैं। इसमें करीब 40 हजार घर हैं, वहीं 1100 व्यवसायिक दुकानें व भवन हैं। 31 जनवरी से 2021 से पहले प्रॉपर्टी टैक्स के नाम पर नगर परिषद में 2.5 करोड़ रुपये जमा हुए। इनमें से 80 प्रतिशत शहर के 31 वार्डों में रहने वाले लोग हैं। बीते वित्त वर्ष 19-20 की बात करें तो शहरवासियों की ओर से पांच करोड़ रुपये संपत्ति कर नप के खाते में जमा कराया गया था। बावजूद इसके लोगों को इस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
पोर्टल पर 10 दिन में अपडेट करने का दावा भी फेल
प्रॉपर्टी आईडी में नाम की गड़बड़ी व खाली नाम के स्थान पर नप के पोर्टल पर जाकर 10 दिनों के अंदर आईडी को अपडेट करने का दावा किया जाता है। पोर्टल पर दस्तावेज अपलोड करने के बाद मैसेज में भी 10 दिन का समय दिया जाता है। लेकिन एक-एक महीने तक समाधान नहीं होने से शहरवासियों में नप अधिकारियों के खिलाफ रोष है। ऐसे एक नहीं कई मामले हैं। प्रॉपर्टी अपडेट नहीं होने के चलते घरों व जमीनों का पंजीकरण कराने में भी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
नप चेयरपर्सन भी नहीं करते सुनवाई : शहरवासी
सेना से सेवानिवृत्त शहर के साउथ सिटी निवासी सुरेंद्र सिंह यादव ने बताया कि नप चेयरपर्सन से लेकर नप अधिकारियों की ओर से कोई ठीक जवाब नहीं मिल रहा है। सेवानिवृत्ति के बाद दिल्ली में नौकरी है। ऐसे में मंगलवार को छुट्टी कर नप कार्यालय जाना पड़ा। वहां पर अलग-अलग कमरों में घुमाया जाता है, लेकिन काम नहीं होता। ईओ से मिलने के बाद भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाया। किरायेदारों को ही मालिक बना दिया गया है। कई जगह तो नाम तक नहीं चढ़ाए गए। ऐसे में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
नप की इन गलतियों का खामियाजा भुगत रहे शहरवासी:
-किस तरह की आ रही हैं आपत्तियां- सर्वे में रिहायशी प्रॉपर्टी को कॉमर्शियल दिखाया गया है।
– प्रॉपर्टी का एरिया 500 वर्ग गज दिखाया गया है, लेकिन वास्तव में 100 वर्ग गज दिखाया गया है।
– प्रॉपर्टी के मालिक के नाम की जगह किरायेदारों के नाम चढ़ा दी गई हैं।
– सर्वे होने के बाद कुछ प्रॉपर्टी मालिकों ने अपनी आधी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री किसी दूसरे के नाम कर दी। ऐसे में अब एक प्रॉपर्टी के दो मालिक हो गए हैं, लेकिन विभागीय वेबसाइट पर एक ही के नाम हैं।
– कुछ ऐसी भी शिकायतें आई हैं जिनकी प्रॉपर्टी सर्वे में शामिल ही नहीं की गई।
-हुडा के सेक्टरों में खाली प्लॉटों के मालिक के नाम की जगह खाली छोड़ दी गई।
-कुछ लोगों की प्रॉपर्टी को सर्वे में शामिल तक नहीं किया गया।
प्रॉपर्टी आईडी में गड़बड़ी के चलते अटकी रजिस्टरी
सरकार ने रजिस्टरी सिस्टम भी पूरी तरह ऑनलाइन किया हुआ है। जमीन की रजिस्टरी कराने के लिए किसी भी तरह का बकाया नहीं होना चाहिए। जमीन का विकास शुल्क जमा होना चाहिए। इसके लिए नगर परिषद से नो-ड्यूज सर्टिफिकेट (एनडीसी) लेना होगा। जो कि इस बात को प्रमाण है कि उक्त प्लॉट या जमीन पर विकास शुल्क आदि बकाया नहीं है। शहर में हजारों की संख्या में ऐसे मामले हैं जो कि प्रॉपर्टी आईडी के चलते अटके हुए हैं। यदि समय पर प्रॉपर्टी आईडी की समस्या का समाधान हो जाए तो शहरवासियों को राहत मिलने के साथ ही सरकार को भी पंजीकरण के दौरान राजस्व की प्राप्ति हो सकेगी।
नगर परिषद के ईओ अभय सिंह यादव ने बताया कि पोर्टल को समाधान के लिए बनाया गया था, लेकिन वहां पर कुछ तकनीकी कारणों के चलते परेशानी हो रही है। शहरवासियों की परेशानी दूर करने के लिए बुधवार से ही हेल्प डेस्क लगा दी जाएगी।