पिस्टल के बल पर कथित जांच टीम घुसी जेआरजी आटोमोटिव कंपनी में, कर्मचारियों में दहशत, जानिए क्या है पूरा मामला

रेवाड़ी: सुनील चौहान। बावल औद्योगिक क्षेत्र स्थित एक कंपनी के उत्पादन प्लांट में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की टीम बताकर दो वाहनों पर सवार होकर आए लोगों द्वारा औचक निरीक्षण किए जाने का मामला सामने आया है।
बताया जाता है कि इनमें से 2 लोग अपनी जेबों पर पिस्टल लगाए हुए थे। टीम के सदस्य प्लांट के मुख्य गेट पर मास्क लगाए बिना ही अंदर घुस गए और कंपनी अधिकारियों से पूछताछ शुरू कर दी। इस दौरान कंपनी अधिकारियों ने जब कथित जांच टीम से पहचान पत्र दिखाने के लिए कहा तो वह पहचान पत्र नहीं दिखा पाए और करीब आधे घंटे की जांच के बाद प्लांट हेड का नंबर लेकर वहां से निकल गए।
पहली बार कंपनी के अंदर हुई इस तरह की घटना से कंपनी कर्मचारी डरे और सहमे हुए हैं, जिसके इसके चलते अब कंपनी की ओर से मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री व अन्य को पत्र लिखकर जांच की मांग की गई है। यह कथित जांच टीम यही नहीं रुकी, बल्कि इसी दिन प्लांट हेड को रेवाड़ी स्थित लोक निर्माण विभाग के विश्राम गृह में बुलाकर मामले को रफा-दफा करने की बात भी कही गई।

 

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प्रधानमंत्री को भेजी शिकायत में जेआरजी आटोमोटिव इंडस्टरीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के जनरल मैनेजर प्रोजेक्ट एंड एचआर दिलीप वर्मा ने बताया कि बावल औद्योगिक क्षेत्र में साल 2009 से ये तीन औद्योगिक इकाइयां कार्यरत हैं। इन तीनों इकाइयों में होंडा व सुजुकी मोटरसाइकिल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के दुपहिया व मारुति होंडा कार इंडिया लिमिटेड चौपहिया वाहनों के लिए प्लास्टिक पुर्जों का उत्पादन किया जाता है।
उन्होंने बताया कि गत 7 अक्टूबर को दोपहर करीब 3:30 बजे प्लांट में करीब 15 लोगों की एक टीम 3 कारों में सवार होकर कंपनी के अंदर पहुंची। इनमें से एक गाड़ी बावल पुलिस थाने की थी, जिसमें 4 पुलिसकर्मी भी सवार थे। दो वाहनों में से एक वाहन पर भारत सरकार लिखा हुआ था और एक निजी वाहन था। यह सभी वाहन कंपनी के गेट पर सुरक्षा जांच पालन किए बिना ही कंपनी के अंदर घुसे और गेट पर तैनात सुरक्षाकर्मियों को अपनी पहचान बताने तक उचित नहीं समझी। इन लोगों की टीम सीधे प्लांट के उत्पादन हॉल में जा पहुंची।
उन्होंने बताया कि टीम द्वारा मौखिक रूप से बताया गया कि यह लोग वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय भारत सरकार की ओर से आए हैं। जबकि इस टीम के साथ स्थानीय औद्योगिक विभाग का कोई भी अधिकारी या कर्मचारी मौजूद नहीं था। प्लांट में आते ही टीम की ओर से कुशल कर्मचारियों से गुणवत्ता मापदंड के बारे में पूछताछ शुरू कर दी गई। इनमें से दो व्यक्ति टीम के लीडर लग रहे थे, जो कि पिस्टल लगाए हुए थे।
दिलीप वर्मा ने अपनी शिकायत में कहा कि केंद्र और हरियाणा सरकार की ओर से इंस्पेक्टर राज खत्म करने की बात कही जाती है, लेकिन कंपनी के अंदर हुई यह घटना पूरी तरह से इसके विरुद्ध है। क्या सरकार द्वारा कोई इस तरह की अथॉरिटी नियुक्त की गई है, जो अपनी जेबों पर पिस्टल लगाकर प्लांट के अंदर निरीक्षण के लिए घुस जाए।
उन्होंने बताया कि इस निरीक्षण के तुरंत बाद पास में स्थित एक औद्योगिक इकाई से एक पत्र मिला, जिसमें वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय भारत सरकार के तहत क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य अनिल शर्मा का रेवाड़ी व बावल का विजिट प्लान था। इसी दिन शाम करीब 6:30 बजे टीम के एक सदस्य द्वारा हमारे प्लांट हेड को कॉल कर रेवाड़ी स्थित लोक निर्माण विश्राम गृह में बुलाया गया। इस दौरान वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की कथित टीम द्वारा प्लांट के अधिकारियों से कहा गया कि आप इस मामले को किस तरह से समाधान करा करना चाहते हैं। कम्पनी अधिकारियों ने टीम को बताया कि वे कंपनी की जांच करना चाहते हैं तो कर सकते हैं। इसके लिए स्वतंत्र हैं।
एचआर हेड ने कहा कि इस मामले की तुरंत जांच कराई जाए, ताकि इस औचक निरीक्षण का कारण पता चल सके। प्लांट कर्मचारियों की सुरक्षा के अलावा पड़ोस की कंपनियों द्वारा भी फैलाई जा रही अफवाहों पर विराम लगाने के लिए जांच कराना जरूरी है। कुछ लोगों की ओर से कहा जा रहा है कि कंपनी में अनेक प्रकार की अनियमितताओं के चलते जांच एजेंसी द्वारा यह रेड की गई है।