हरियाणा: दिल्ली-जयपुर हाईवे संख्या 48 के जयसिंह पुर खेड़ा-शाहजहांपुर (रेवाड़ी-अलवर) बॉर्डर 362 दिन आखिर खुल गया। वाहनों के लिए ये बड़ी राहत की शुरूआत हुई है। किसानों ने करीब एक किलोमीटर के दायरे में लगाए टेंट, पंडाल व झोपड़ियों को गुरुवार शाम से ही समेटना शुरू कर दिया था। शुक्रवार को 90% टेंट आदि सामान को यहां से हटा लिया गया।
फिलहाल यहां लंगर और इक्का-दुक्का टेंट ही बचे हुए हैं, जिन्हें शनिवार तक हटा लिए जाने की उम्मीद है। आंदोलन की सफलता के बाद घर लौट रहे किसानों के चेहरे पर जीत की खुशी नजर आई। आंदोलनकारियों के हाईवे से उठने के साथ ही पुलिस ने भी सालभर बाद पहली बार यहां से बेरिकेडिंग को लगभग हटा लिया है।
कुछ बेरिकेडिंग सुरक्षा के लिहाज और दुर्घटना का खतरा कम करने के लिए अभी भी रखी हुई है। टेंट और बेरिकेडिंग हटाए जाने के चलते शुक्रवार को दिल्ली की ओर भी सर्विस लेन खोल दी गई है। हालांकि हाईवे की सभी लेन आज शाम तक या फिर कल तक ही खुल पाने की उम्मीद है।
आंदोलन खत्म, गरीबों में बांटा जरूरत का समान
आंदोलनकारियों ने बड़ा मन भी दिखाया। शुक्रवार को आंदोलन स्थल से लौटने के दौरान आंदोलन के समय काम आये कम्बल, चद्दर, गद्दे, बर्तन, रजाई व अन्य सामान ग्रामीणों एवं जरूरतमंदों को दे दिया। किसानों के जाने की सूचना पर बडी संख्या में ग्रामीण आंदोलन स्थल पर जमा हो गए थे।
प्राण गंवाने वाले किसानों को नमन किया, फिर घर वापसी
एनएच-48 के बीचों-बीच किसानों ने राजस्थान सीमा में 13 दिसंबर 2020 को आंदोलनकारियों ने डेरा जमा लिया था। उस समय मेधा पाटकर व योगेंद्र यादव जैसे नेताओं ने आंदोलन की अगुआई की। राजस्थान से किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष एवं अलवर जिला प्रमुख बलबीर छिल्लर के नेतृत्व में आंदोलन चला। करीब एक साल से आंदोलन का हिस्सा रहे किसानों का साफा एवं माला से सम्मान किया गया।
गुरुवार शाम के बाद शुक्रवार सुबह करीब 6 बजे से ही किसानों ने पंडालों को हटाना एवं सामान को समेटना प्रारंभ कर दिया था। रेवाड़ी पुलिस प्रशासन द्वारा किसानों को रोकने के लिये लगाये गये बेरिकेड्स को पुलिस द्वारा जेसीबी की सहायता से हटवाया गया।
सुबह 10 बजे शाहजहांपुर आंदोलन से जुड़े जय किसान आंदोलन संयोजक योगेंद्र यादव, भाकियू के प्रदेशाध्यक्ष राजाराम मील, बलबीर छिल्लर, पूर्व विधायक अमराराम चौधरी, पूर्व विधायक पेमा राम चौधरी, राम किशन महलावत सहित अन्य किसान नेता आंदोलन स्थल पर बने शहीद किसान स्मृति स्थल पर एकत्रित हुए एवं किसान आंदोलन के दौरान अपने प्राण गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद घर वापसी शुरू हुई
दिवंगत सीडीएस बिपिन रावत व अन्य सेना अधिकारियों को दी श्रद्धांजलि
किसान आंदोलन की समाप्ति पर बड़े जश्न की तैयारी थी, लेकिन देश के प्रथम सीडीएस विपिन रावत व उनकी पत्नी सहित 13 सेना अधिकारियों व जवानों की मृत्यु के बाद साधारण समारोह में ही समाप्ति का विचार किया। गमगीन माहौल में किसानों द्वारा दिवंगत सीडीएस सहित जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
दिल्ली की ओर सर्विसलेन खुली, पूरा हाईवे खुलने का इंतजार
गुरुवार को पुलिस प्रशासन द्वारा आंदोलन स्थल से बैरिकेट्स, सीमेंट पिल्लर, खाली कंटेनर हटाने प्रारंभ कर दिये थे। हाईवे की व्यवस्थाएं शनिवार से सुचारु होने की उम्मीद है। राजस्थान की सीमा में किसानों का धरना चल रहा था। शाहजहांपुर थाना प्रभारी विक्रम चौधरी ने बताया की हाईवे को लेकर उनकी एनएचएआई सहित टोल प्रबंधकों से भी बात हुई है।
शनिवार से व्यववस्था सुचारू की जा सकती है। हालांकि पुलिस ने अभी कुछ कंटेनर नहीं हटाए है। सर्विसलेन चालू करने के बाद भी राजस्थान और हरियाणा पुलिस तैनात है। हाईवे पर टेंट आदि के लिए सरिये भी रोपे गए थे। कुछ जगह गड्ढे भी हैं। उनको जांचने, दुरूस्त करने व सफाई के बाद हाईवे खुलेगा।
किसान नेता बोले- एमएसपी की लड़ाई अभी जारी रहेगी
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता एवं जय किसान आंदोलन संयोजक योगेंद्र यादव ने कहा कि देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब संसद में बनाए गए कानूनों को सरकार ने किसी आंदोलन के दबाव में वापस लिया है। सरकार ने भरोसा दिया है कि बिजली बिल अधिनियम बिना किसानों से बात किए नहीं लाया जाएगा। इस आंदोलन से पूरे देश में जागरूकता आई है।
आज न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के बारे में हर किसान को जानकारी हो गई है। एमएसपी पर अभी पांव टिकाने लायक जगह मिली है, इसके लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ेगी। किसानों को विश्वास हो गया है कि वह लड़ कर जीत जाएंगे। अभी आंदोलन नहीं छोड़ा गया है, सिर्फ मोर्चा हटाया गया है। योगेंद्र यादव ने कहा कि भविष्य में संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले कभी भी चुनाव नहीं लड़ा जाएगा।















