रेवाडी: सुनील चौहान। बालाजी धर्माथ समिति द्वारा संचालित आजाद चौक स्थित शिव मंदिर परिसर में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर श्रीसत्यनारायण कथा, हवन तथा भजन-संकीर्तन का आयोजन किया गया।
इस मौके पर मंदिर के पुजारी पंडित सुमन भारद्वाज ने बताया कि भारतीय संस्कृति में कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा को देवताओं की दीपावली के रूप में मनाया जाता है। इस दिन कई धार्मिक आयोजन, पवित्र नदी में स्नान, पूजन और कर्मकांड का विधान है। वर्ष के बारह मासों में कार्तिक मास आध्यात्मिक एवं शारीरिक ऊर्जा संचय के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
उन्होंने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा कार्तिक के पूरे माह में पवित्र नदी में स्नान करने का प्रचलन रहा है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार कार्तिक माह में व्रत, स्नान और दान का बहुत ही ज्यादा महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लाखों तीर्थ यात्री पुष्कर जाते हैंष पवित्र पुष्कर सरोवर में स्नान कर ब्रह्मा जी के मंदिर में पूजा करते हैं। दीपदान करते हैं। इससे पाप का नाश होकर सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। व्रतधारी की मनोकामना पूर्ण होती है।
उन्होंने कहा कि कार्तिक माह में गंगा स्नान, दान, दीप दान, हवन आदि करने से सांसारिक पाप का नाश होता है और व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। कार्तिक पूर्णिमा को स्नान अघ्र्य, तर्पण, जप-तप, पूजन, कीर्तन एवं दा-पुण्य किये जाते हैं। कार्तिक पूर्णिमा हमें देवों की उस दीपावली में शामिल होने का अवसर प्रदान करती है, जिसके प्रकाश से प्राणी के भीतर छिपी तामसिक वृतियों का नाश होता है।
इस अवसर पर सावित्री शर्मा, पूजा माहेश्वरी, कैलाश सैनी, मुकेश यादव, मीनाक्षी माहेश्वरी, अजंली माहेश्वरी, मीरा सैनी, सुमन सैनी, भारती मेहंदीरता, बाला धमीजा, उर्मिला सैनी, नीलम सैनी, संतोष, पुष्पा, मनोहरी, कोकीला, संतरा, रेणु यादव, सन्तोष सैनी, कमलेश आदि महिलाओं ने कार्तिक मास स्नान किया एवं हवन में आहुति दी। इस दौरान ठाकुरजी को ना-ना प्रकार की मिठाईयों का भोग लगाकर प्रसाद वितरण किया गया।