चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि 20 अप्रेल को है और 21 अप्रैल को रामनवमी है। नवरात्रि व्रत करने वाले भक्त नवरात्रि की अष्टमी को कन्या पूजन करके नवरात्रि व्रत का समापन करते हैं। हालांकि कुछ भक्त नवमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं। अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन किस शुभ मुहूर्त में शुरू करें कि देवी मां की कृपा मिले।
20 अप्रैल 2021 रात्रि 12 बजकर 01 मिनट के बाद से अष्टमी तिथि शुरू होगी। अष्टमी 20 अप्रैल को पूरे दिन और 21 अप्रैल रात्रि 12 बजकर 43 मिनट तक रहेगी। इसके बाद नवमी तिथि शुरू हो जाएगी जो 22 अप्रैल 2021 मध्यरात्रि 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगी। इसी आधार पर आप कन्या पूजन का शिड्यूल तय कर सकते हैं।
ये है कन्या पूजन विधि
* नौ कन्याओं और एक कंजक के पैर स्वच्छ जल से धोकर उन्हें आसन पर बिठाएं।
* सभी कन्याओं का रोली या कुमकुम और अक्षत से तिलक करें।
* गाय के गोबर के उपले को जलाकर उसकी अंगार पर लौंग, कर्पूर और घी डालकर अग्नि प्रज्वलित करें।
* कन्याओं के लिए बनाए गए भोजन में से थोड़ा सा भोजन पूजा स्थान पर अर्पित करें।
* सभी कन्याओं और कंजक के लिए भोजन परोसे।
* उन्हें प्रसाद के रूप में फल, सामर्थ्यानुसार दक्षिणा अथवा उनके उपयोग की वस्तुएं प्रदान करें।
* कन्याओं के पैर छूकर कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर उन्हें सम्मान पूर्वक विदा करें।
होता है 3 से 9 वर्ष की कन्याओं का पूजन
ज्योतिषियों के अनुसार कन्याओं के रूप में मां ही घर में प्रवेश करती हैं। कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप मानकर पूजा-अर्चना की जानी चाहिए। 3 से 9 वर्ष की कन्याओं का कन्या पूजन किया जाना चाहिए। इस उम्र की कन्याओं को मां का साक्षात स्वरूप कहा जाता है।
कन्या पूजन का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार 9 कन्याओं का पूजन किया जाता है। हर कन्या का अलग और विशेष महत्व होता है। एक कन्या का पूजन करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। दो कन्याओं का पूजन करने से भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है। तीन कन्याओं का पूजन करने से अर्थ, धर्म और काम की प्राप्ति होती है। चार कन्याओं का पूजन करने से राज्यपद की प्राप्ति होती है। पांच कन्याओं का पूजन करने से विद्या की प्राप्ति होती है। छह कन्याओं का पूजन करने से छह प्रकार की सिद्धि प्राप्त होती है। सात कन्याओं का पूजन करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। आठ कन्याओं का पूजन करने से सुख- संपदा की प्राप्ति होती है। नौ कन्याओं का पूजन करने से पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है।
कन्याओं को हलवा, पूड़ी और चने का प्रसाद खिलाना चाहिए। कन्याओं को दक्षिणा देना न भूलें। कन्याओं को दक्षिणा देने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं।