धारूहेडा: प्रदेश में आज भी हजारे ऐसे गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों है जिनके परिवारों को उनका हक नहीं नही मिला है। हरियाणा में स्वतंत्रता सेनानियों की सूची में लगभग साढ़े पांच हजार नाम थे। इनमें से अधिकांश अब इस दुनिया में नहीं है, मगर उनके वंशजों को स्वतंत्रता सेनानी के वंशज होने का गौरव मिला हुआ है। नेताजी की जयंती के अवसर पर हम यहां उन स्वतंत्रता सेनानियों की बात कर रहे हैं, जिनका बलिदान गुमनामी के अंधेरे में छिपा हुआ है।
हरियाणा में आज भी आजाद हिद फौज के ऐसे सैकड़ों नायक हैं, जो गुमनाम है। हालांकि श्रीभगवान फौगाट अपनी मेहनत से पिछले कुछ वर्षों के दौरान राष्ट्रीय अभिलेखागार से 250 से अधिक बलिदानियों के नाम की तलाश कर चुके हैं, मगर प्रयास के बावजूद अभी तक इनमें से लगभग बीस-पच्चीस शहीद परिवारों का ही पता चल पाया है।
फौगाट ने रेवाड़ी सहित विभिन्न जिलों में पहुंचकर संबंधित जिला उपायुक्तों से मदद की अपील की, मगर उपायुक्तों से लेकर मुख्य सचिव तक और उपमुख्यमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक मदद की गुहार के बावजूद राष्ट्रीय अभिलेखागार से हासिल किए रिकार्ड के अनुसार सभी परिवारों तक संपर्क नहीं हो पाया है। फौगाट लंबे समय से ऐसे ही अनाम बलिदानियों के वंशजों के स्वतंत्रता सेनानी के वंशज होने का हक दिलाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। श्रीभगवान ने उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के सामने भी यह विषय रखा।
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डिप्टी सीएम ने उनकी बात ध्यान से सुनी और गुमनाम बलिदानियों के परिवार की तलाश के लिए हरियाणा सरकार के स्तर पर हर संभव सहयोग का भरोसा दिलाया। जब श्रीभगवान ने प्रयास शुरू किया तो एक के बाद एक कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आती गई। लगभग एक दशक पूर्व तक नेताजी से जुड़े दस्तावेज गोपनीय थे, मगर अब यह रिकार्ड सार्वजनिक हो चुका है।