अब डबल नहीं ट्रिपल कंटेनर होगें ढुलाई के लिए

रेवाड़ी: कल्याण कास्ट टेक कंपनी ने रेवाड़ी स्थित अपनी फैक्ट्री में ‘ड्वार्फ’ कंटेनरों’ का निर्माण किया है। रविवार को रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव पहले फैक्ट्री परिसर में नए डिजाइन के कंटेनरों का निरीक्षण करेंगे और बाद में रेवाड़ी की सीमा से सटे अलवर जिले के गांव काठूवास स्थित कंटेनर डिपो का निरीक्षण करेंगे।
भारत में निकट भविष्य में ट्रिपल स्टैक कंटेनर ट्रेन दौड़नी शुरू हो जाएगी। अभी तक माल ढुलाई के लिए डबल स्टैक कंटेनर ट्रेन दौड़ रही है। ट्रिपल स्टैक के लिए खास तौर पर छह फुट चार इंच ऊंचे नए कंटेनर डिजाइन किए हैं। अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड वाले कंटेनरों की ऊंचाई लगभग साढ़े नौ फीट होती है। इनको ‘ड्वार्फ’ नाम दिया गया है। रेल मंत्रालय का पूरा जोर अब ‘ड्वार्फ’ डिजाइन के कंटेनरों के तेजी से निर्माण पर है, जिससे देश में ट्रिपल स्टैक ट्रैन निर्बाध दौड़ाई जा सके। आज रेलमंत्री करेंगे निरीक्षण:

कल्याण कास्ट टेक कंपनी ने रेवाड़ी स्थित अपनी फैक्ट्री में ‘ड्वार्फ’ कंटेनरों’ का निर्माण किया है। रविवार को रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव पहले फैक्ट्री परिसर में नए डिजाइन के कंटेनरों का निरीक्षण करेंगे और बाद में रेवाड़ी की सीमा से सटे अलवर जिले के गांव काठूवास स्थित कंटेनर डिपो का निरीक्षण करेंगे। यहां बता दें कि इस वर्ष मार्च में मुंबई के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएलएनपी) से कानपुर के बीच ट्रिपल स्टैक ट्रेन का एक बार ट्रायल हो भी चुका है। ऊपर-नीचे (डबल स्टैक) की बजाय ऊपर-नीचे तीन कंटेनर (ट्रिपल स्टैक) रखने पर भी ऊंचाई समान रहेगी। इससे उद्यमियों-व्यापारियों को माल ढुलाई का नया विकल्प मिलेगा। कल्याण कास्ट टेक कंपनी के निदेशक नरेश यादव रेवाड़ी के गांव डहीना के मूल निवासी हैं। कम ऊंचाई के कंटेनरों का डिजाइन तैयार करने में यादव की अहम भूमिका है।


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‘ड्वार्फ कंटेनर’ से कैसे होगा फायदा:

-ऊंचाई कम होने से बीएलसी वैगन (ओपन वैगन जिस पर कंटेनर रखे जाते हैं।) पर एक साथ तीन रखे जा सकते हैं।

-ऊंचाई कम होने के बावजूद द्वारफ कंटेनरों में 1.6 गुना अधिक सामान आएगा, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्टेंडर्ड के कंटेनरों की लंबाई जहां 20 फुट होती है, वहीं इनकी लंबाई 40 फुट है। इनकी चौड़ाई भी 162 एमएम (लगभग 6 इंच) बढ़ाई गई है।

-इस डिजाइन के कंटेनर केवल भारत में ही तैयार किए जा रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्टेंडर्ड के कंटेनरों को बंदरगाह पर उतारने के बाद उनका सामान वहीं पर कम ऊंचाई के ‘ड्वार्फ’ कंटेनरों ‘में भरा जाएगा।

-ऊंचाई कम होने के कारण ट्रेन और ट्रकों में ले जाने में सुविधा रहेगी। अगर ग्रामीण क्षेत्र में कहीं सड़कों पर बने पुलों की ऊंचाई कम हो तो ट्रक पर कम ऊंचाई का एक कंटेनर ले जाना भी संभव होगा। इसी तरह रेल ट्रैक से भी उन स्थानों पर कम ऊंचाई के सिगल या डबल कंटेनर ले जाना संभव होगा, जहां नए स्टैंडर्ड के अनुसार ट्रैक पर बने पुलों की ऊंचाई नहीं बढ़ाई गई है।

-चालीस फुट लंबे तीन कंटेनर ऊपर-नीचे रखने से एक बार में एक कंटेनर ट्रेन 1200 से 1500 टन की बजाय 2200 से 2300 टन भार ले जा सकेगी। रेलवे की बचत के हिसाब से यह गेमचेंजर योजना मानी जा रही है।

-सरकार की योजना है कि अगले वर्ष तक देश में ट्रिपल स्टैक कंटेनर ट्रेन और ट्रकों पर कम ऊंचाई के कंटेनर देखना आम हो जाए।