रेवाडी: सुनील चौहान। रावतुलाराम पार्क में कैलाश चंद एड्वोकेट ने अपने सहयोगी साथियो के साथ मिलकर पौधा रोपण किया। कैलाश चंद एड्वोकेट द्वारा पिछले चार वर्षों से पौधा रोपण कार्यक्रम जारी किया हुआ है प्रत्येक वर्ष जिला रेवाड़ी के भिन्न भिन्न गांव में जाकर पौधा रोपण किया। पौधा रोपण करते हुए उन्होंने बताया कि वह हर वर्ष जितने भी पौधे लगाता है उन पौधों की देखभाल भी करता है। कैलाश चंद एड्वोकेट लगाए गए पौधों को पानी देते हैं। वे ऐसा काफी वर्षों से लगातार करते आ रहे हैं ।
कैलाश चंद एड्वोकेट व उनके साथियो ने यह कहा कि प्रत्येक वर्ष आम लोगों द्वारा काफी पौधे लगाए जाते हैं । उनमें से अधिकतर पौधे बिना देखभाल , पानी और बिना खाद के कारण बड़े नहीं हो पाते और कड़ी धूप और गर्मी के कारण तथा उसकी जानवरों से सुरक्षा न होने के कारण खराब हो जाते हैं।
उनके अनुसार पौधे छोटे बच्चे के समान होते हैं । जिस प्रकार छोटे बच्चे को संस्कार दिए जाते हैं, उसी प्रकार पौधों को भी समय-समय पर पानी की आवश्यकता होती है । जिस प्रकार बच्चों को बुरी आदतों से बचा कर रखा जाता है , उसी प्रकार पौधों को उन्हें खराब करने के हर स्रोत से बचा कर रखना चाहिए । जैसे छोटे बच्चों को आंखों के समक्ष रख कर बड़ा किया जाता है, बिल्कुल वैसे ही छोटे पौधों को सही देखभाल के साथ ही बड़ा किया जा सकता है।
परंतु आज के पौधों को 1 या 2 बार ही पानी देकर छोड़ दिया जाता है । मुख्यरूप से देखने वाली बात ये भी है कि सरकार द्वारा काफी संख्या में पौधा रोपण करवाया जाता है परन्तु उन पौधों को सिर्फ 2 बार पानी दिया जाता है जबकि प्रत्येक वर्ष गर्मियो में तो प्रत्येक सप्ताह में कम से कम 2 बार पानी दिया जाना चाहिये परन्तु सरकार द्वारा लगाए गए पौधो को पानी ही नही दिलवाती है जिस कारण 99% पौधे सूख जाते हैं।आमजन द्वारा भी लगाए गए पौधों का खत्म होने का मुख्य कारण भी यही है परिणामस्वरूप जितने पौधे लगाए जाते हैं उनके सिर्फ 15% – 20% ही बड़े हो पाते हैं ।
आज के हालात तो हम सबके समक्ष है ही कि पिछले वर्ष से आई कोरोनावायरस महामारी में आक्सीजन की कमी के कारण काफी लोगो की जान नही बच पाई, अगर देखा जाए तो ये पेड़ – पौधे हमें प्राकृतिक और शुद्ध ऑक्सीजन देते हैं। परन्तु हम इनकी अहमियत नही समझ पा रहे हैं कि पेड़ पौधे हमारे जीवन मे कितने जरूरी है अगर पेड़ पौधे नही तो हम भी नही। अभी भी देर नहीं हुई है, पौधे लगाने के साथ-साथ उनकी सुरक्षा भी हमारी ही जिम्मेदारी है। आज से ही हम सभी मिलकर शुरुआत करे तो शायद हम इस धरती की हरी भरी कर सकते हैं, कैलाश चंद एड्वोकेट द्वारा प्रत्येक वर्ष अपने पौधा रोपण कार्यक्रम करते है जो एक मानवता का परिचय का रूप है
वृक्ष हमारे जीवन दाता:
वृक्ष प्रकृति की अनमोल धरोहर व पर्यावरण के संरक्षक हैं । सृष्टि के प्रारंभिक क्षणों से पृथ्वी मानव की सहचरी रही है। इसी के सौरभमय रमणीय नैनाभिराम वातावरण में मानव ने स्वार्गिक आनंद का अनुभव किया है। यही नहीं प्रकृति के प्रति उसके मन में एक अटूट श्रद्धा और आस्था रही है। निस्संदेह प्रकृति के अनमोल उपहारों में से ये हरे भरे तथा सुखद छाया और शीतलता प्रदान करने वाले वृक्ष किसके मन में आस्था के अंकुर उत्पन्न नहीं कर देते। अतः प्रकृति ने हमें बहुत कुछ दिया है, जिनमे वृक्षों का स्थान प्रकृति के उपहारों में से सर्वोपरि है। वृक्ष मानव के चिरंतर साथी हैं, कभी वो वृक्षों की छाया में बैठकर अपनी थकन मिटाता है, तो कभी इनके मधुर फल खाकर अपनी भूख शांत करता है। तभी तो वृक्षों को मनुष्य का आश्रयदाता माना जाता है। इस धरती पर प्रकिर्तिक शोभा को बढ़ने वाले ये वृक्ष ही हैं, धरती की गोद में यदि ये हरे भरे वृक्ष ना होते तो यह साड़ी पृथ्वी मरघट के सामान डरावनी और भयानक सी प्रतीत होती। वर्षा के हेतु ये वृक्ष ही हैं, इन वृषों से ही धरती की हरियाली जीवंत है।
यही कारन है की वृक्षों के प्रति मानव मन में अनादी काल से ही अगाध श्रद्धा का बोध रहा है, इन्ही की छाया में बैठकर हमारे ऋषि-मुनियों ने बड़े-बड़े ग्रंथों की रचना की थी। यही वृक्ष उनकी साधना की तपस्थली भी थे। येही कारण है की ऋषि मुनियों की परंपरा से ही मानव के मन में वृक्षों के प्रति श्रद्धा का अटूट भाव रहा है। आज भी देवी देवताओं की पूजा इन वृक्षों के पत्तों एवं पुष्पों से की जाती है। सभी जानते हैं की परंपरा से देवी देवताओं के देवालय इन वृक्षों से सुशोभित होते रहे हैं। परंपरागत मान्यताओं के आधार पर इन वृक्षों में निवास करके देवताओं ने इनके महत्व को बहुत अधिक उच्च कोटि का दर्शा दिया है। यह कहना अतिश्योक्ति न होगी की वृक्ष तो शायद हमारे बिना भी रह सकते हैं लेकिन हम बिना वृक्षों के जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते।
वृक्ष अमर हैं, धरती है इनकी माता, ममतामयी माता की रक्षा सदा ही करते।
पौधा रोपण करके उनकी सुरक्षा का संकल्प भी लिया गया ।पौधा रोपण करते कैलाश चंद एड्वोकेट व उनके सहयोगी संजय प्रधान, कैलाश सैनी, कमल कांत, मोटा उर्फ धर्मबीर आदि शामिल रहे