पीएम मोदी बोले- अपने सीएम को थैक्स कहना, मैं बठिंडा एयरपोर्ट तक जिंदा लौट पाया———————- पिछले छह साल स्लम बस्ती के बच्चों को दे रहीं शिक्षा एक तरफ जहां लोग शिक्षा को व्यवसाय बनाकर रुपये कमा रहे हैं, वहीं प्रियंका वर्ष 2015 से स्लम बस्ती में जाकर गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रही हैं। कोरोना काल से पहले उनके यहां 35 बच्चों शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे, लेकिन कोरोना के चलते पढ़ाई बंद है। वहीं इसके अलावा वर्ष 2015 में प्रियंका यादव ने उपायुक्त की सहायता से दूसरे प्रदेश से रेवाड़ी में आकर रह रहे प्रवासी मजदूरों के 65 बच्चों का स्कूलों में दाखिला करवाया था। प्रियंका ने इन बच्चों के आधार कार्ड बनवाने जैसी सभी कागजी कार्यवाही पूरी की थी। ———————-
यह भी पढ़े:- Haryana Political News: इनेलो अब परिवर्तन यात्रा से टटोलेगी वोट बैंक, 22 को आएगी रेवाडी
Cyber crime : ड्रा में कार निकलने का झांसा देकर चार लाख 28 हजार की ठगीनाबालिग के राशन कार्ड की कागजी कार्रवाई कराई थी पूरी वर्ष 2019 में मुख्यमंत्री मनोहर के हस्तक्षेप के बाद जाटूसाना निवासी नाबालिग छात्र रितिक का बीपीएल राशन बना था। जब वह 5 साल का हुआ मां चल बसी, 9 साल का हुआ तो पिता का क्षय रोग से निधन हो गया। दादा-दादी जिंदा हैं, लेकिन वे खुद ही इतने बीमार रहते हैं। रितिक किसी के साथ राशनकार्ड में अपने पिता का नाम कटवाने के लिए खाद्य एवं आपूर्ति विभाग पहुंचा। यहां तकनीकी दिक्कतों की वजह से उसका कार्ड बनना संभव नहीं था। अब मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप से बन गया है। बता दें कि राशन कार्ड बनवाने के लिए परिवार के मुखिया बालिग होना जरूरी है। रितिक परिवार में अकेला था, ऐसे में उसका राशन कार्ड नहीं बन पा रहा था। बाद में मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद रितिक का राशन कार्ड बना था।