Rewari news: हर जरूरतमंद की मदद करने का उठाया है बीड़ा, ज​निए कौन है वो….

रेवाड़ी। महिलाओं ने अपने मजबूत इरादों और हिम्मत से समाज में अपनी अलग पहचान बनाई है। साथ ही समाज सेवा कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। इसी क्रम में जिले की प्रियंका ने हर जरूरतमंद की मदद करने का बीड़ा उठाया है। सभी की मदद हो, यही उनका प्रयत्न रहता है। पिछले माह में स्वच्छता एंबेसडर बनीं शहर के न्यू आदर्श निवासी प्रियंका यादव ने जरूरतमंदों को निशुल्क शिक्षा देने के साथ शहर में समाज के लिए सराहनीय कार्य कर रही हैं। प्रियंका यादव दो साल पहले अपने शरीर के सभी अंगों को दान करने का भी फैसला ले चुकी हैं।
पीएम मोदी बोले- अपने सीएम को थैक्स कहना, मैं बठिंडा एयरपोर्ट तक जिंदा लौट पाया
———————- पिछले छह साल स्लम बस्ती के बच्चों को दे रहीं शिक्षा एक तरफ जहां लोग शिक्षा को व्यवसाय बनाकर रुपये कमा रहे हैं, वहीं प्रियंका वर्ष 2015 से स्लम बस्ती में जाकर गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रही हैं। कोरोना काल से पहले उनके यहां 35 बच्चों शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे, लेकिन कोरोना के चलते पढ़ाई बंद है। वहीं इसके अलावा वर्ष 2015 में प्रियंका यादव ने उपायुक्त की सहायता से दूसरे प्रदेश से रेवाड़ी में आकर रह रहे प्रवासी मजदूरों के 65 बच्चों का स्कूलों में दाखिला करवाया था। प्रियंका ने इन बच्चों के आधार कार्ड बनवाने जैसी सभी कागजी कार्यवाही पूरी की थी।
———————- महिला शौचालय बनवाने के लिए पीएमओ को दी शिकायत शहर निवासी प्रियंका ने बाजार में एक भी शौचालय नहीं होने के कारण महिलाओं को आनी वाली समस्या को देखते हुए पीएमओ से शिकायत की थी। उनकी शिकायत पर बाजार में शौचालय का निर्माण कराया गया था। प्रियंका ने बताया कि उन्होंने शौचालय के निर्माण के लिए जिला प्रशासन के सभी अधिकारियों को शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। वर्ष 2019 में जागृति यात्रा के दौरान जिले की रोल मॉडल प्रियंका यादव ने एक कार्यक्रम के दौरान पीएमओ ऑफिस के चीफ सेक्रेटरी परमेश्वर अय्यर के समक्ष यह मुद्दा उठाया था। इसके अलावा प्रियंका यादव 11 सिंतबर 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष ‘नया भारत-युवा भारत’ कार्यक्रम में जाति मुक्त भारत विषय पर व्याख्यान दे चुकी हैं।
Cyber crime : ड्रा में कार निकलने का झांसा देकर चार लाख 28 हजार की ठगी
नाबालिग के राशन कार्ड की कागजी कार्रवाई कराई थी पूरी वर्ष 2019 में मुख्यमंत्री मनोहर के हस्तक्षेप के बाद जाटूसाना निवासी नाबालिग छात्र रितिक का बीपीएल राशन बना था। जब वह 5 साल का हुआ मां चल बसी, 9 साल का हुआ तो पिता का क्षय रोग से निधन हो गया। दादा-दादी जिंदा हैं, लेकिन वे खुद ही इतने बीमार रहते हैं। रितिक किसी के साथ राशनकार्ड में अपने पिता का नाम कटवाने के लिए खाद्य एवं आपूर्ति विभाग पहुंचा। यहां तकनीकी दिक्कतों की वजह से उसका कार्ड बनना संभव नहीं था। अब मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप से बन गया है। बता दें कि राशन कार्ड बनवाने के लिए परिवार के मुखिया बालिग होना जरूरी है। रितिक परिवार में अकेला था, ऐसे में उसका राशन कार्ड नहीं बन पा रहा था। बाद में मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद रितिक का राशन कार्ड बना था।