रेवाडी: नगर परिषद में भ्रष्टाचार किस कदर से छाया हुआ है, इस का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रॉपर्टी आईडी और एनडीसी के लिए 2 लाख रुपए की रिश्वत मांगने को लेकर प्राथमिकी होने के बावजूद न कोई सस्पेंड हुआ और न गिरफ्तारी। अधिकारी पहले की तरह काम कर रहे हैं। इतना नही अब रेवाड़ी नगर परिषद ने शिकायतकर्ता को 65 हजार रुपए की बजाय 4.51 लाख रुपए के डेवलपमेंट चार्ज का नोटिस थमा दिया।
Rewari: राम भरोसे है बिजली, दिनरात हो रही बिजली गुलहैरानी की बताया ये है कि प्लॉट का साइज 540 वर्ग गज है, जबकि साथ लगते 557 वर्ग गज प्लॉट के लिए महज 68840 रुपए विकास शुल्क भरवाया गया।
संभवत: ऐसा भी पहली बार हो रहा है, जब प्रॉपर्टी आईडी बनाने के लिए अफसरों की पूरी टीम गाड़ी भरकर प्लॉट देखने पहुंच रही है। वरना संदेह होने पर पटवारी ही मौका मुआयना करता है और पैमाइश के बाद प्रॉपर्टी आईडी बना दी जाती है। शिकायतकर्ता ने स्पष्टतौर पर इसे दबाव बनाने के लिए अधिकारियों द्वारा अपनाया जा रहा हथकंडा बताया है। इसके लिए सीएम को भी शिकायत भेजी है।
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केस दर्ज होने पर बढाया डेवलपमेंट चार्ज
रेवाड़ी शहर के कालाका रोड स्थित विकास नगर निवासी जगदीश ने अपनी शिकायत में कहा कि उनके चाचा रविंद्र कुमार को अपने बेटे राजेश के नाम एक प्लॉट की टीपी (ट्रांसफर परमिशन) के लिए आवेदन करना था। इस काम के लिए उन्हें नगर परिषद से नो-ड्यूज सर्टिफिकेट (एनडीसी) की जरूरत थी। दिसंबर 2021 में इसके लिए ऑनलाइन अप्लाई कर दिया, मगर काम नहीं हुआ।
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शिकायतकर्ता ने प्रॉपर्टी आईडी जांची तो रिकॉर्ड में 1000 वर्ग गज प्लॉट की आईडी मिली, जिसका विकास शुल्क 1.20 लाख रुपए दिखाया। समस्या ये थी कि 1000 वर्ग गज की बजाय मौके पर उनके दो प्लॉट का कुल साइज 1044 (522-522) वर्ग गज था। अधिकारियों ने कहा कि कागजात 557 वर्ग गज व 540 वर्ग गज के हैं। इसीलिए इन्हीं नाम से फाइल लगाई।
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रविंद्र कुमार के नाम से 557 वर्ग गज के लिए आवेदन किया तो कुल 70322 रुपए बकाया बताया। इसमें विकास शुल्क 120 रुपए के हिसाब से 66840 रुपए तथा 3482 रुपए प्रॉपर्टी टैक्स भरवाया गया। एनडीसी जारी नहीं हुई तो स्टेट विजिलेंस ब्यूरो में शिकायत दी, जिसके बाद 23 मार्च को यह एनडीसी जारी कर दी गई।
इसके बाद इसी जमीन के दूसरे हिस्से 540 वर्ग गज की प्रॉपर्टी आईडी के लिए रविंद्र कुमार के भाई तुलसी राम के नाम से ऑनलाइन आवेदन किया। इसी बीच 29 मार्च को विजिलेंस ब्यूरो ने ईओ, एमई समेत 3 के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली।
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शिकायतकर्ता जगदीश ने बताया कि 13 अप्रैल को प्रॉपर्टी आईडी बना दी, जो कि पोर्टल पर उपलब्ध है। इसमें प्रॉपर्टी टैक्स समेत कुल बकाया 494729 रुपए दर्शाया है। इसमें 2106 रुपए फायर टैक्स, 38718 रुपए प्रॉपर्टी टैक्स व विकास शुल्क 451505 रुपए दिखाया। जबकि पुरानी कॉलोनी में प्लॉट है, यहां विकास शुल्क 120 रुपए प्रति वर्ग गज के हिसाब से 64800 रुपए होना चाहिए।
क्या है पूरा मामला:
विजिलेंस को शिकायत देकर जगदीश ने कहा कि दिसंबर 2021 में इसके लिए एक सीएससी से ऑनलाइन अप्लाई कर दिया। वहां 20 हजार रुपए में पूरा काम कराने का ठेका ले लिया तथा 10 हजार रुपए एडवांस ले भी लिए, मगर काम नहीं हुआ। वे नगर परिषद के पटवारी से मिले। आरोप है कि उसने भी 5 हजार रुपए की डिमांड की। 1000 रुपए दे भी दिए, मगर काम यहां भी नहीं हुआ।
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दिसंबर 2021 से मार्च 2022 तक फाइल 4 बार रिजेक्ट हुई। नप एमई सोहन ने 2 लाख रुपए में काम होने का वायदा किया तथा अपने घर बुलाया। यहां सोहन के पिता पब्लिक हेल्थ के एसडीओ नंदलाल मिले।
उन्होंने सोहन से फोन पर बात की तथा 2 लाख रुपए में ईओ, एमई, एक्सईएन सभी आ जाने की बात कही। इसकी रिकॉर्डिंग कर जगदीश ने विजिलेंस को दी। 29 मार्च को केस दर्ज हुआ। शिकायतकर्ता ने विजिलेंस और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाए। न कोई सस्पेंड हुआ और न गिरफ्तारी। अधिकारी पहले की तरह काम कर रहे हैं।