मुख्य सचिव, राजस्थान सुधांष पंत ने दिए आवश्यक निर्देश
धारूहेडा: दो राज्यो के लिए जलभराव की समस्या गंभीर बनी हुई है। राष्ट्रीय राजमार्ग-48 पर Rajasthan की सीमा पर स्थित Haryana धारूहेड़ा के नजदीक जलभराव स्थिति की समीक्षा एवं समस्या के समाधान के लिए मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार सुधांष पंत की अध्यक्षता में को एक उच्चस्तरीय बैठक का आयोजन किया गया।
बैठक में प्रमुख शासन सचिव, उ़द्योग एवं वाणिज्य,राजस्थान सरकार अजिताभ शर्मा ने भिवाड़ी एवं इसके आसपास के क्षेत्र में जलभराव की समस्या के कारणों, वर्तमान में व्याप्त दूषित जल तथा शहरी सीवेज उपचार के संसाधनों आदि के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया कि भिवाडी क्षेत्र की जल समस्या का प्रमुख कारण औद्योगिक व शहरी विकास की वजह से दूषित पानी का अत्यधिक एकत्रीकरण तथा इस जल के उपचार पश्चात् शोधित जल में कतिपय औद्योगिक इकाईयों एवं घरों द्वारा पुनः दूषित जल मिला दिया जाना है।
भिवाडी क्षेत्र में औद्योगिक इकाईयों शोधन हेतु संचालित सीईटीपी एवं घरों से निकलने वाले दूषित जल के एसईटीपी को आदर्श रूप से संचालित करने एवं शोधित जल के उचित उपयोग एवं डिस्चार्ज हेतु सतत निगरानी किये जाने की नितान्त आवश्यकता है।
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उन्होंने बताया कि उद्योगों से निकलने वाले केमिकल युक्त दूषित जल को एकत्रित कर शोधित करने और उपचारित जल के पुनः प्रयोग के लिए परिवहन प्रणाली के साथ मौजूदा 6 एमएलडी सीईटीपी संयत्र को शून्य निस्त्राव संयंत्र का उन्नयन किया जा चुका है एवं पूर्णतः उपचारित पानी को पुनः औद्योगिक इकाईयों को आपूर्ति किये जाने का कार्य प्रारम्भ किया जा रहा है।
टी. रविकान्त, प्रमुख शासन सचिव, नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन विभाग ने अवगत कराया कि नगर परिषद्, भिवाडी द्वारा वर्तमान में घरेलू दूषित पानी के शोधन हेतु 9.5 एमएलडी क्षमता के 4 एसटीपी संचालित किये द्वारा प्रतिदिन 7 एमएलडी से जा रहे है, जिनके अधिक दूषित पानी का शोधन किया जा रहा है।
अमृत-2 योजना के अन्तर्गत नगर परिषद्, भिवाडी द्वारा 34 एमएलडी क्षमता का नया एसटीपी लगाया जाना प्रक्रियाधीन है। सुश्री सलोनी खेमका, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, बीडा ने बताया कि बीडा के द्वारा घरेलू दूषित पानी के शोधन हेतु 4 एमएलडी क्षमता का एसटीपी संचालित किया जा रहा है।
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हनुमानमल ढाका, जिला कलेक्टर ,खैरथल-तिजारा ने बताया कि भिवाडी क्षेत्र में जल भराव का मुख्य कारण शोधित जल का उचित उपयोग नही हो पाना है। शोधित जल की निकासी खुली नालियों के द्वारा होने के कारण इसमें कई स्थानों पर घरों एवं फैक्ट्रियों का दूषित जल भी मिला दिया जाता है, जिससे जल शोधन की पूरी प्रक्रिया ही निश्प्रभावी हो जाती है।
हरियाणा की तरफ स्लोप होने के कारण पानी प्राकृतिक रूप से धारूहेडा की तरफ जाता है तथा समस्या के समाधान हेतु भिवाडी क्षेत्र में विभिन्न क्षमताओं के एसटीपी लगाये जाने उचित होंगे, जिससे शोधित जल का स्थानीय क्षेत्र में उपयोग हो सके। स्थिति की समीक्षा के उपरान्त मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार के द्वारा निर्देश दिए गए कि भिवाडी क्षेत्र में उपचारित औद्योगिक जल एवं सीवेज को प्राथमिकता से पुनः उपयोग में लेने के पश्चात अतिरिक्त जल को जलााश्यो में छोडा जाना सुनिश्चित किया जाये।
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घरेलू शोधित जल का उपयोग बागवानी, कृषि कार्यो, सडकों पर छिड़काव एवं भवन निर्माण आदि में सुनिश्चित किया जाये। नगर परिषद्, भिवाडी द्वारा सीवर लाईन एवं घरेलू कनेक्शन से सम्बन्धित कार्य तुरन्त पूर्ण किया जाये। नगर परिषद्, भिवाडी द्वारा अलग-अलग क्षेत्रों एसटीपी की सम्भावना भी तलाशी जाये, जिससे स्थानीय स्तर पर हो सके।
आवश्यकतानुसार छोटे शोधित जल का उपयोग औद्योगिक इकाईयों के दूषित जल का निकास सीईटीपी कन्ड्यूट लाईन में सुनिश्चित किया जाकर अन्य निकास बन्द कराये जाये। औद्योगिक इकाईयों द्वारा सीईटीपी उपचारित जल का उपयोग सुनिश्चित किया जावें, इस बाबत् उद्योगों से एमओयू किए जाने पर भी विचार किया जाये।
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औद्योगिक इकाईयों द्वारा भूमिगत जल निकासी बन्द कर सीईटीपी उपचारित जल का उपयोग सुनिश्चित किया जाये। भिवाडी के ड्रेनेज सिस्टम की सफाई एवं क्षमता विस्तार का कार्य आगामी मानसून से पूर्व समय बद्ध तरीके से पूर्ण किया जाये। इन निर्देश की अनुपालना स्थिति की नियमित समीक्षा प्रमुख शासन सचिव, उद्योग एवं वाणिज्य, राजस्थान सरकार के द्वारा राज्य स्तर पर एवं जिला कलेक्टर, खैरथल-तिजारा एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी, बीडा द्वारा स्थानीय स्तर पर की जाकर समयबंद्ध तरीके से सुनिश्चित की जाए।