Indian Railways: रेवाड़ी-नारनौल-फुलेरा सेक्शन अत्याधुनिक आटोमेटिक सिग्नलिंग प्रणाली से होगा लैस, बढ़ेगी ट्रेनों की रफ्तार

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Indian Railways:  रेवाड़ी-नारनौल-फुलेरा सेक्शन को ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली से लैस किया जाएगा। यह रेलवे ट्रैक 216 किलोमीटर का है। ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली शुरू होने से इस ट्रैक पर एक से अधिक ट्रेनों का संचालन हो सकेगा और ट्रेनों की गति बढ़ेगी।

उत्तर पश्चिम रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण ने बताया कि अत्याधुनिक आटोमेटिक सिग्नलिंग प्रणाली का तेज गति से हो रहा है। उत्तर पश्चिम रेलवे में 450 किलोमीटर रेलमार्ग में लगभग 900 करोड़ रुपये की लागत के साथ आटोमेटिक सिग्नलिंग प्रणाली लगाने का कार्य स्वीकृत किया गया है।

वर्तमान में एक्सप्रेस ट्रेनों को रेवाड़ी से फुलेरा तक पहुंचने में चार से साढ़े चार या कभी-कभी 5 घंटे लग जाते हैं। ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली शुरू होने से ट्रेनों की रफ्तार बढ़ेगी जिससे यात्रा का समय कम हो जाएगा। Indian Railways

 

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हाल ही में रेवाड़ी-जयपुर सेक्शन को ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली से लैस करने की स्वीकृति मिली है। इसके अलावा पालनपुर-अजमेर-जयपुर- रेवाड़ी रेलमार्ग के शेष रेल खंडों पर आटोमेटिक सिग्नलिंग प्रणाली का कार्य अंतिम चरण में है। अभी तक जयपुर मंडल में 90 किलोमीटर सेक्शन को ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली से लैस किया जा चुका है।Indian Railways

रेवाड़ी-नारनौल सेक्शन का होगा दोहरीकरण

रेलवे की तरफ से इस प्रणाली का उपयोग रेवाड़ी-नारनौल सेक्शन पर भी किया जा रहा है। इस सेक्शन का दोहरीकरण की प्रक्रिया 650 करोड़ रुपये की लागत से चल रही है। यह कार्य पूरा होने के बाद इस सेक्शन पर भी ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली का उपयोग किया जाएगा।Indian Railways

इससे यह लाभ होगा कि इसका दोहरीकरण का कार्य पूरा होने के पश्चात यहां पर अधिक संख्या में ट्रेनों का संचालन बढ़ने के साथ यहां से गुजरने वाली ट्रेनों की भी गति बढ़ेगी।

ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम क्या होगा फायदा

ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल प्रणाली लागू होने से एक ही रूट पर एक किमी के अंतर पर एक के पीछे एक ट्रेनें चल सकेंगी। इससे एक ओर ट्रेनों की रफ्तार बढ़ेगी। वहीं, कहीं भी खड़ी ट्रेन को निकलने के लिए आगे चल रही ट्रेन के अगले स्टेशन तक पहुंचने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।Indian Railways

स्टेशन यार्ड से ट्रेन के आगे बढ़ते ही ग्रीन सिग्नल मिल जाएगा। एक ब्लॉक सेक्शन में एक के पीछे दूसरी ट्रेन आसानी से चल सकेंगी। इसके साथ ही ट्रेनों के लोकेशन की जानकारी मिलती रहेगी।Indian Railways