तीन दशक बाद आरपीएन ने थामा भाजपा का दामन.. कहा, कांग्रेस मे मची हल, कई नेता छोड रहे पार्टी

नई दिल्ली: कांग्रेस के कद्दावर नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह ने मंगलवार को भाजपा ज्वाइन कर ली है। करीब 3 दशकों तक कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहने के बाद आरपीएन सिंह की भाजपा में ज्वाइनिंग कई सवाल खड़े कर रही है। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि आखिर आरपीएन ने वो पार्टी क्यों छोड़ी जिसने उन्हें विधायक, सांसद और केंद्र में मंत्री तक बनाया। जिस पार्टी से आरपीएन के पिता भी सांसद रहें, उस पारिवारिक पार्टी को छोड़ने के पीछे की कहानी और मजबूरी क्या है?
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भाजपा में शामिल होने के बाद आरपीएन सिंह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को आज वे लोग छोड़ रहे है जिन्होंने निस्वार्थ सेवा की। कांग्रेस के कई नेता पार्टी छोड़ रहे हैं, एक भगदड़ सी है। मैं किसी पर भी व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं करूंगा। साथ ही उन्होंने कहा कि एक कार्यकर्ता के रुप में राष्ट्र निर्माण में जो भी कर पाऊंगा वो मैं करूंगा। मेरे परिवार से कोई भी राजनीति में नहीं है सिर्फ मैं राजनीति में हूं।   RPN भाजपा में शामिल होने के बाद आरपीएन सिंह ने पार्टी मुख्यालय में कई शीर्ष नेताओं से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। इस दौरान उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा और केशव प्रसाद मौर्य और भाजपा उत्तर प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह आदि भी मौजूद रहे। झारखंड सरकार गिराने की साजिश आखिर क्या थी? पिछले साल जुलाई में झारखंड सरकार को गिराने की साजिश हुई थी। इसमें शामिल कुछ लोगो को गिरफ्तार भी किया गया था। जुलाई 2021 में गिरफ्तार आरोपियों ने पुलिस पूछताछ में बताया था कि साजिश में झारखंड के तीन विधायक, दो पत्रकार व बिचौलिए शामिल थे। दिल्ली में तीनों विधायकों से लेनदेन की डील भी हुई थी। एक करोड़ एडवांस का वादा भी किया गया था। नहीं देने पर विधायक रांची लौट गए थे।
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डील में महाराष्ट्र के दो नेता चंद्रशेखर राव बावनकुले और चरण सिंह शामिल थे। स्थानीय नेताओं ने इसकी शिकायत दिल्ली में हाईकमान से भी की थी। तब इस साजिश में आरपीएन सिंह को भी शक के दायरे में खड़ा किया गया और कहा जाता है कि इसी के बाद आरपीएन की कांग्रेस में भूमिका को कम किया जाने लगा। प्रियंका गांधी ने अपनी टीम और यूपी चुनाव में भी आरपीएन को कोई जिम्मेदारी नहीं दी।
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कुशीनगर की पडरौना विधानसभा सीट से लड सकते है चुनाव: बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह के भाजपा में आने की चर्चा काफी समय से चल रही थी। आरपीएन सिंह को भाजपा, स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ कुशीनगर की पडरौना विधानसभा सीट से चुनाव लड़वा सकती है। आरपीएन सिंह पिछड़ी जाति सैंथवार-कुर्मी से हैं। पूर्वांचल में सैंथवार जाति के लोगों की तादाद अच्छी संख्या में है, इनका प्रभाव कुशीनगर, गोरखपुर, देवरिया इलाके में हैं। पूर्वांचल में आरपीएन सिंह की अपनी भी मजबूत पकड़ है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में सात चरणों में विधानसभा के चुनाव हैं। पहले चरण का चुनाव 10 फरवरी को है। 10 मार्च को चुनाव का परिणाम आएगा।