Political news: फसल कटाई के लिए नहीं मिल रहे मजूदर, चुनावों के चलते बढी मजदूरों की मांग

COTTON

फसल कटाई के लिए नहीं मिल रहे श्रमिक, मांग रहे मनचाही मजदूरी

Political news: एक समय था जब फसलो की कटाई के लिए श्रमिक आसानी से मिल जाते थे। अब कृषि कार्य में मजदूरों की कमी बड़ी समस्या के रूप में सामने आ रही है। चुनावो के चलते राजनेता भीड जुताने के लिए मजदूरों को इतनी दहाडी दे रहे है वे खेती के काम से दूर होने लगे है।

इसी के चलते इस बार फसलों की बुवाई से निराई, गुड़ाई व कटाई तक किसानों को मजदूरों की कमी अखरने लगी हैं। किसानों को मजदूरों को मुंहमांगे दाम देने पड़ रहे हैं।

बिगड़े मौसम के मिजाज से खेतों में तैयार फसलों में नुकसान ना हो, इसके लिए किसान फसल कटाई करवाकर उपज को तैयार कर घर लाने की जल्दी में है, लेकिन फसल कटाई के लिए मजदूरों की कमी बडी आफत नही हुई है।

किसानों को मुंहमांगी मजदूरी देकर मजदूरों की व्यवस्था करनी पड़ रही है। फिर भी अधिकांश किसान जरूरत अनुसार मजदूरों की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं, जिससे किसान खासे परेशान है। मजूदर खेती काम की बजाय रैलियो में शामिल होकर मोटी दहाडी कमा रहे है।

BAJARA KATAI

जानिए क्या है हरियाणा में मजदूरी
हरियाणा में एक मजदूर को अधिकतम 500 रुपए मजदूरी मिलती है। अन्य कोई सुविधा नही मिलती है। जबकि दूसरे राज्यो में इससे भी कम मजदूरी है। इसी के चलते आजकल काफी संख्या में मजदूर हरियाणा पहुंच रहे है।

अन्य राज्यों व जिलों से बुलाते है मजूदर
यहां के किसानों को मजदूरों की व्यवस्था अन्य राज्यों व जिलों से करनी पड़ रही है। वर्तमान में उत्तरप्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश के अलावा कोटा, झालावाड़, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ सहित भारत के कई राज्यों व राज्य के कई जिलों से मजदूरों की भीड़ देखने को मिल रही हैं। बस से उतरते ही बड़ी संख्या में लोग इनका इंतजार करते भी नजर आते हैं, तो कई ठेकेदार भी इन्हें बुलाते है। इतना ही आजकल तो मजदूर उपलब्ध करने वाले भी कई ठेकेदार सक्रिय है। Political news

चुनावों ने बढाए दाम: आजकल चुनावों में मजूदरों का खेती के काम से ज्यादा दहाडी मिल रही है। इतना हीं नही खाने पीने के साथ बसो से ले जाने की व्यवस्था भी चुनावो में सुविधा
मिल रही है। मजदूरो की किल्लत के घर से खेतों तक लाने व ले जाने की व्यवस्था के साथ मुंहमांगे दाम देना पड़ रहा है।Political news

 

भीड जुताने में मजदूरों को कर रहे शामिल: अक्सर फसलो की कटाई के लिए बाहर से मजदूर आते है। इस बार बाहर से मजदूर तो आ रहे है लेकिन फसल कटाई की बजाय राजनेताओ की रैलियो में भीड जुटाने का काम कर रहे है।

ठेकेदारों की चांदी: रैली की भीड जुटाने के लिए मजूदर उपलब्ध् करवाने वालो की आजकल चांदी हो रही है। वे चुनाव के चलते ठेका ले लेते है। रेवाड़ी केजरीवाल की रैली व धारूहेड़ा मे हुई उतराखंड के सीएम की रैली में किराये के मजदूरो की भीड खूब रही।

दो तीन कार्यकर्ता बनकर आए लोगो ने बात की तो साफ कर दिया कि पैसे दो आप कहीं भी ले जाओ। बस शर्त यह है दहादी नकद व एडवास देनी होगी। घर से लेकर जाओगे, वापस घर पर जाकर छोडेगें। वहां पर खाना व पीना देना होगा।