Pandit Pradeep Mishra: प्रसिद्ध कथा वाचक Pandit Pradeep Mishra रेवाड़ी में दो दिन से श्री शिव महापुराण कथा कर रहे है। मंगलवार से शुरू हुई कथा 23 मार्च तक चलेगी। कथा में रेवाड़ी, हरियाणा ही नहीं बल्कि राजस्थान, दिल्ली, यूपी और बिहार सहित अलग-अलग राज्यों के श्रद्धालु रेवाड़ी में कथा सुनने के लिए पहुँचे है।
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लोग प्रदीप मिश्रा के मुख से कथा सुनने के इतने दीवाने है कि घंटों पहले पंडाल में पहुँच जाते है। जो लोग बाहर से आयें है उन्होने या तो आसपास रहने की व्यवस्था कर रखी है या वे पंडाल में ही रह रहे है।
कथा में उमडी भीड
रेवाड़ी शहर के गढ़ी- बोलनी रोड़ स्थित सेक्टर 18, हुडा ग्राउंड में चल रहे कार्यक्रम में लोगों के लिए तमाम इंतजाम किये गए है। कथा स्थल पर मेला उत्सव जैसा नजारा है। जिसके बाद 4 बजे तक श्री शिव महापुराण कथा का पाठ किया जाता है।
जानिए कथा का क्या है समय
लोग प्रदीप मिश्रा के मुख से कथा सुनने के इतने दीवाने है कि घंटों पहले पंडाल में पहुँच जाते है। जो लोग बाहर से आयें है उन्होने या तो आसपास रहने की व्यवस्था कर रखी है या वे पंडाल में ही रह रहे है।
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बता दे दोपहर एक बजे कथ Pandit Pradeep Mishra शुरू करते है। जिसके बाद 4 बजे तक श्री शिव महापुराण कथा का पाठ किया जाता है।
23 मार्च चलेगी कथा
बता दें कि रेवाड़ी शहर के सेक्टर 18 स्थित हुडा ग्राउंड में श्री शिव महापुराण कथा का आयोजन कराया जा रहा है। समाजसेवी सुनील मूसेपुर रेवाड़ी में कथा का आयोजन करा रहे है। 18 मार्च को हवन यज्ञ करके और कलश यात्रा निकालकर 19 मार्च से कथा का शुभारंभ किया गया था। जो कथा 23 मार्च तक चलेगी।
सड़कों पर जाम
पसीने में तरबतर होकर श्रद्धालु कथा सुनते रहे। इनमें अधिकांश महिलाएं हैं। प्रदीप मिश्रा की कथा शुरू होने से पहले सोमवार को सुबह शिव भक्त महिलाओं ने कलश यात्रा निकाली थी। हजारों लोगों के पहुंचने के कारण सड़कों पर जाम लगना शुरू हो गया। सबसे ज्यादा जाम की स्थिति नाईवाली चौक से आंबेडकर चौक तक रही
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कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि पुण्य प्रबल होता है तो शिव महापुराण की कथा होती है। बीज भूमि में डालने पर अंकुरित होगा, यह सत्य है। संत का काम परमात्मा के मंदिर तक पहुंचाना है। दुख में कर्म ही साथ देता है। विपरीत परिस्थितियों में कर्म ही साथ देता है। शिव को एक लोटा जल चढ़ा रहे हों तो कल्याण अवश्य होगा।
जहां शिव महापुराण की कथा होती है वहां शिव का कैलाश व पृथ्वी के द्वादश ज्योतिर्लिंग आ जाते हैं। उन्होंने कहा कि शिव महापुराण की कथा में पद, प्रतिष्ठा, कुर्सी को घर छोड़कर आएं। कथा में पद का अभिमान नहीं होना चाहिए।