Loksabha Chunav: लोकसभा चुनावों को हर शहर में पार्टिया प्रचार में लगी हुई है. वाराणसी मे मोदी (PM Modi) की रेली एक बार फिर वाराणसी बम बम हो गया है. राजनीतिक तौर पर यह सीट बीजेपी का गढ़ बन चुका है. हालांकि काशी की इस सीट पर बीजेपी (BJP) के पक्ष में रिकॉर्ड मतदान की शुरुआत पीएम मोदी की एंट्री के साथ हुई.
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में वाराणसी का अलग ही महत्व रहा है. मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) से पहले भूतपूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, कांग्रेस के दिग्गज कमलापति त्रिपाठी, दिवंगत प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के पुत्र अनिल शास्त्री और केंद्रीय मंत्री रहे BJP के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य व वरिष्ठतम नेताओं में से एक मुरली मनोहर जोशी भी यहां से सांसद रह चुके हैं.
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का वाराणसी शहर संसार के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक माना जाता रहा है. सांस्कृतिक तौर पर पूरे भारत ही नहीं दुनिया भर में इसकी पहचान रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना नामांकन पत्र दाखिल करने से एक दिन पहले आज वाराणसी में छह किलोमीटर लंबा रोड शो किए. बीजेपी ने पीएम मोदी को वाराणसी संसदीय क्षेत्र से तीसरी बार उम्मीदवार बनाया है, जहां लोकसभा चुनाव के सातवें चरण में एक जून को मतदान होगा. रोड की शुरुआत बीएचयू मेन गेट के सामने मालवीय चौराहा से हुआ है और रविदास गेट, अस्सी, शिवाला, सोनारपुरा, जंगमबाड़ी, गोदौलिया होते हुए श्री काशी विश्वनाथ धाम तक पहुंचे.
1991 से लेकर 2019 के बीच हुए 8 लोकसभा चुनावों में से 7 बार भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) को इस सीट पर जीत मिली है. 2004 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने यह सीट बीजेपी से छीन लिया था. 2009 के चुनाव में एक बार फिर बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी ने इस सीट पर बीजेपी की वापसी करवा दी.
BJP के वोट प्रतिशत में हुई थी गिरावट
वाराणसी सीट पर 1991 और 1996 के चुनाव में बीजेपी को मिली बड़ी जीत के बाद 1998,1999 और 2004 के चुनाव में बीजेपी के वोट प्रतिशत में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी. 1996 में मिली 44 प्रतिशत वोट गिरकर 2004 के चुनाव में महज 23.6 प्रतिशत रह गया. बीजेपी (BJP) को इस चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार से हार का भी सामना करना पड़ा.
वाराणसी को बनाया था बीजेपी का गढ़
1991 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने राज्य के पूर्व डीजीपी रहे श्रीश चंद्र दीक्षित को उम्मीदवार बनाया था. उग्र हिंदुत्व की राजनीति करने वाले श्रीश चंद्र दीक्षित इस चुनाव में जीतने में सफल रहे थे. उन्हें 41.1 प्रतिशत वोट मिले थे.
साल 1996 में बीजेपी की तरफ से शंकर प्रसाद जयसवाल उम्मीदवार बनाए गए थे उन्हें इस चुनाव में 1991 की तुलना में अधिक वोट मिले थे. शंकर प्रसाद जयसवाल को 44.6 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे.
PM MODI को मिली रिकॉड जीत
वर्ष 1957 और 1962 में कांग्रेस के रघुनाथ सिंह इस सीट से जीते थे, लेकिन 1967 में CPM के सत्यनारायण सिंह ने यहां कब्ज़ा कर लिया. उसके बाद 1971 में कांग्रेस ने राजाराम शास्त्री के ज़रिये इस सीट पर फिर कब्ज़ा जमाया.