Natural Gas: खुशखबरी: जल्द ही सस्ती होगी नैचुरल गैस
Natural Gas : सफारी ने एमवीआईआरडीसी वर्ल्ड ट्रेड सेंटर मुंबई की एक बैठक में कहा है कि ईरान पहले ही मिडिल ईस्ट के देश ओमान तक इस नैचुरल गैस पाइपलाइन का निर्माण कर रहा है।HKRN bhrti : हरियाणा कौशल रोजगार निगम में अब इन पदों पर बिना परीक्षा के होगी भर्ती, 30 हजार मिलेगा वेतन
दुनिया के प्रमुख गैस उत्पादक देश ईरान से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि जल्द ही वह समुद्र से गुजरने वाली प्राकृतिक गैस पाइपलाइन को ओमान से भारत तक बढ़ाने पर विचार कर सकता है। ईरान के आर्थिक संबंधों के उप विदेश मंत्री मेहदी सफारी ने एक बयान में यह बात कही।
रोज़ाना इस्तेमाल होने वाली गैस को लेकर आज एक बड़ा अपडेट आया है,सरकार ईरान के साथ मिल कर ये नई योजना बना रही है जिससे गैस बहुत कम दामों में हमे मिलेगी।
अगले महीने होने वाली इस बड़ी बैठक में इसको लेकर एलान होने वाला है भारत का जल्द ही ईरान से पाइपलाइन के माध्यम से सस्ती गैस मिल सकती है।
दुनिया के प्रमुख गैस उत्पादक देश ईरान से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि जल्द ही वह समुद्र से गुजरने वाली प्राकृतिक गैस पाइपलाइन को ओमान से भारत तक बढ़ाने पर विचार कर सकता है। ईरान के आर्थिक संबंधों के उप विदेश मंत्री मेहदी सफारी ने एक बयान में यह बात कही।
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ईरान इस पाइपलाइन को भारत में पोरबंदर तक बढ़ाने पर विचार कर रहा है। एमवीआईआरडीसी वर्ल्ड ट्रेड सेंटर मुंबई ने एक बयान में कहा कि सफारी इस साल 7-10 मई के बीच तेहरान में आयोजित होने वाले ’ईरान एक्सपो 2023’ के प्रचार और 11 प्रमुख श्रेणियों में व्यापार तथा निवेश को बढ़ावा देने के लिए मुंबई आए थे।
भारत से कारोबार सराहनीय पहल
जिस तरह रूस पर अमेरिकी और पश्चिमी देशों के प्रतिबंध के बावजूद भारत ने अपने हितों के तहत कारोबार जारी रखा है। ठीक उसी तरह आर्थिक प्रतिबंधों के बावजूद, भारत ईरान के शीर्ष पांच व्यापार भागीदारों में शामिल है।
उन्होंने कहा, भारत को हमारा निर्यात 2022 में 60 प्रतिशत बढ़ा है। पिछले दो महीनों में यह 90 प्रतिशत बढ़ा है। इसका मतलब है कि कच्चे तेल के साथ ही दूसरी वस्तुओं का व्यापार भी बढ़ रहा है।Haryana: राशन कार्ड को लेकर आया नया अपडेट, अब दुपहिया वाहन मालिको पर गिरेगी गाज
ईरान ने कहा है कि वह भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। उप-विदेश मंत्री ने कहा कि भारत आने का उनका एक मकसद ईरान के दक्षिण में स्थित चाबहार बंदरगाह को बढ़ावा देना था,
ताकि इसके जरिए भारत, मध्य एशिया, कॉकेशस क्षेत्र (काला सागर और कैस्पियन सागर के बीच का क्षेत्र) और यूरोपीय बाजारों तक पहुंच कायम कर सके।