रेवाडी: सुनील चौहान। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए गांव राजगढ़ के हरिसिंह को उनकी शहादत के 2 साल 9 माह बाद शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शहीद की पत्नी राधा बाई को यह सम्मान भेंट किया। पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर हुए हमले के पश्चात सेना आतंकवादियों का सफाया कर रही थी। आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान 18 फरवरी 2019 को 55 आरआर बटालियन में तैनात हरिसिंह शहीद हो गए थे। रक्षा मंत्रालय की ओर से 15 अगस्त 2019 को शहीद हरी सिंह को शौर्य चक्र दिए जाने को मंजूरी दे दी गई थी। पहले मार्च 2020 में शहीद की पत्नी को शौर्य चक्र प्रदान करने की चर्चा थी, मगर आयोजन नहीं हो पाया। इस बीच कोविड-19 की दूसरी लहर का भी असर रहा। अब वह घड़ी आई, जब पत्नी के हाथ में शहीद पति के अदम्य साहस का सम्मान पहुंचा।
लश्कर के 2 आतंकी पकड़े तो थपथपाई थी पीठ:
13 नवंबर 2018 को सेना की तरफ से आतंकियों के खिलाफ एक ऑपरेशन लॉन्च किया गया था। इसमें आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकवादियों को भारतीय जवानों ने गिरफ्त में लिया था। इस ऑपरेशन में ग्रेनेडियर हरिसिंह भी शामिल थे। इसके लिए कमांडिंग ऑफिसर कर्नल आरबी अलावेकर की तरफ से उन्हें प्रशस्ति पत्र भेजा था। पत्र में लिखा कि यह उपलब्धि आपके असाधारण साहस और कौशल को प्रदर्शित करती है।
परिवार की सैन्य परंपरा कायम रखी:
हरिसिंह अपने परिवार की सैन्य परंपरा को कायम रखने के लिए सेना में भर्ती हुए थे। उनके दादा श्योलाल सेना में थे और उनके बाद पिता अगड़ी सिंह भी सेना में ही ग्रेनेडियर थे। उनकी मृत्यु हो चुकी है। दादा व पिता के बाद हरि सिंह ने भी सैन्य परंपरा को कायम रखा। शहीद का करीब साढ़े 3 साल का बेटा है। हरिसिंह अपने पिता को ही आदर्श मानते थे।