Rewari: आत्म शुद्धि के लिये इच्छाओं को वश में करना जरूरी
धारूहेड़ा: यहां के मुख्य बाजार स्थित श्री 1008 चंद्रप्रभ दिगंबर जैन मंदिर में चल रहे जैनियों के दश लक्षण महापर्व पर्युषण के सातवें दिन सोमवार को उतम तप धर्म का पालन किया।रेवाड़ी में निकाली भगवा शोभायात्रा, सनातन धर्म पर हमला बर्दाश्त नहीं: शम्मी शर्मा
प्रधान निवेश ने बताया मानसिक इच्छायें साँसारिक बाहरी पदार्थों मैं चक्कर लगाया करती हैं अथवा शरीर के सुख साधनों में केन्द्रिय रहती हैं। अतः शरीर को प्रमादी न बनने देने के लिये बहिरंग तप किये जाते हैं। मन की वृत्ति आत्म-मुख करने के लिये अन्तरंग तपों का विधान किया गया है। दोनों प्रकार के तप आत्म शुद्धि के अमोध साधन हैं।Rewari: धारूहेड़ा में मां भवगती का विशाल जागरण 30 को
जैन ग्रन्थ, तत्त्वार्थ सूत्र में 10 धर्मों का वर्णन है। पर्युषण पर्व का मूल उद्देश्य आत्मा को शुद्ध करके आवश्यक विधाओं पर ध्यान केंद्रित करना, पर्यावरण का शोधन करना तथा संत और विद्वानों की वाणी का अनुसरण करना है। इस मौके पर सरंक्षक विजय जैन, प्रधान निवेश जैन, सचिव मुकेश जैन, गौरव जैन, विपिन, विकास, रितेश, विशाल, मंगतराम आदि मौजूद रहे।