भारत में अब शेयर बाजार सिर्फ बड़े-बड़े कारोबारियों तक सीमित नहीं है। अब गांव-कस्बों से लेकर शहरों तक के आम लोग भी निवेश करने लगे हैं। बडे ही गर्व की बात है महज 8 महीनें एक करोड नए लोड इससे जुडे है। अब NSE पर कुल निवेशकों की संख्या 12 करोड़ से ऊपर पहुंच गई है।NSE
भारत के पूंजी बाजार ने एक नई ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। 23 सितंबर, 2025 को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर यूनिक रजिस्टर्ड निवेशकों की संख्या 12 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई। एनएसई के अनुसार, अब तक कुल यूनिक क्लाइंट कोड्स 23.5 करोड़ तक पहुंच चुके हैं। इसमें एक निवेशक के कई ट्रेडिंग मेंबर के साथ रजिस्ट्रेशन भी शामिल हैं।NSE
निवेशकों के इस बढ़ते आधार का श्रेय डिजिटलाइजेशन, फिनटेक की आसान पहुंच, मध्यवर्गीय आबादी की सक्रिय भागीदारी और केंद्र सरकार की नीतिगत पहलों को दिया जा रहा है। मार्च 2021 में 4 करोड़ निवेशक तक पहुंचने में जहां 25 साल का समय लगा, वहीं अब हर 1 करोड़ नए निवेशक महज 6-7 महीनों में जुड़ रहे हैं।
महिलाएं और युवा बढ़-चढ़कर कर रहे हैं निवेश: खास बात यह है कि आज हर चार निवेशकों में एक महिला है और करीब 40% निवेशक 30 साल से कम उम्र के हैं। इनकी औसत आयु घटकर 33 साल हो गई है, जो पांच साल पहले 38 साल थी।
देश में निवेशकों का आधार तेजी से राज्यों में भी फैला है। महाराष्ट्र 1.9 करोड़ निवेशकों के साथ सबसे आगे है, इसके बाद उत्तर प्रदेश 1.4 करोड़ और गुजरात हाल ही में एक करोड़ निवेशक वाले राज्यों की सूची में शामिल हुआ है। इस वित्त वर्ष में बेंचमार्क निफ्टी 50 इंडेक्स ने 7% और निफ्टी 500 ने 9.3% रिटर्न दिया है। वहीं, पिछले पांच सालों में एनुअलाइज्ड रिटर्न निफ्टी 50 पर 17.7% और निफ्टी 500 पर 20.5% रही है।
कैसे आया है इतना बदलाव?
इस तेजी के पीछे डिजिटल इंडिया, मोबाइल ऐप्स के जरिए निवेश की सुविधा, और फिनटेक कंपनियों की मदद जैसे कई बड़े कारण हैं। अब किसी को निवेश करने के लिए ब्रोकर के ऑफिस जाने की जरूरत नहीं, सब कुछ मोबाइल पर हो रहा हैं साथ ही, सरकार और NSE जैसे संस्थानों की तरफ से लोगों को समझाने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं, जिससे लोगों को अब शेयर बाजार से डर नहीं लगता।
निवेशकों के भरोसे को मजबूत करने के लिए एनएसई ने निवेशक जागरूकता कार्यक्रमों में भी उल्लेखनीय वृद्धि की है। वित्त वर्ष 2020 के 3,504 कार्यक्रमों की तुलना में वित्त वर्ष 2025 में यह संख्या 14,679 तक पहुंच गई है। इसी दौरान, निवेशक संरक्षण कोष (आईपीएफ) भी 2,644 करोड़ रुपये तक बढ़ा है।NSE
एनएसई के चीफ बिजनेस डेवलपमेंट ऑफिसर श्रीराम कृष्णन ने कहा कि निवेशकों की इस स्थिर वृद्धि के पीछे सरल केवाईसी प्रक्रिया, निवेशक जागरूकता और सकारात्मक बाजार भावना जैसे प्रमुख कारण हैं। यह रुझान बताता है कि भारत में पूंजी बाजार आने वाले वर्षों में और भी गहराई तक अपनी पैठ बना सकता है।

















