उतराखंड: आईआईआरएस ने जोशीमठ को लेकर अभी हाल मे एक वीडियो जारी किया है, उसमें यह भी दर्शाया गया कि भू-धंसाव केवल जोशीमठ शहर में ही नही, बल्कि पूरी घाटी भी चपेट में है। आने वाले समय में इसका परिणाम भयानक होगें।
आईआईआरएस देहरादून के वैज्ञानिकों ने जुलाई 2020 से मार्च 2022 के बीच जोशीमठ और आसपास के करीब छह किलोमीटर क्षेत्र की सेटेलाइट तस्वीरों का अध्ययन किया। जोशीमठ हर साल 6.62 सेंटीमीटर यानी करीब 2.60 इंच धंस रहा है।Delhi-NCR Weather : सर्द हवाओ के साथ हुई बूंदाबांदी, जानिए कब मिलेगी राहत
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग (आईआईआरएस) ने करीब दो साल की सेटेलाइट तस्वीरों का अध्ययन करने के बाद यह रिपोर्ट सरकार को दी है। अध्ययन में जोशीमठ व आसपास के क्षेत्र में आ रहे भूगर्भीय बदलाव को देखा गया। हाल ही में आईआईआरएस ने इसकी रिपोर्ट जारी की है।
हर साल धंस रहा जोशी मठ: पेश कि गई वीडियो में दावा किया गया कि जोशीमठ हर साल 6.62 सेमी. की दर से नीचे की ओर धंस रहा है। इसकी सेटेलाइट तस्वीर भी जारी की गई है। साथ ही आईआईआरएस ने एक वीडियो जारी किया है, जिसमें जोशीमठ के थ्री-डी बदलावों को दिखाया गया है। अध्यन से खुलासा हुआ है पूरा पहाडी क्ष़ेत्र ही घातक बनता जा रहा है।
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चट्टानें भी धंस रही हर साल:
सरकार ने जोशीमठ के अध्ययन की जिम्मेदारी तमाम वैज्ञानिक संस्थाओं को सौंपी है। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने बताया कि अब तक की जांच पड़ताल में यह तथ्य सामने आया है कि जोशीमठ के भीतर की चट्टानें और ढलान दोनों एक ही दिशा में बढ़ रहे हैं। आमतौर पर चट्टानें समतल होती हैं, लेकिन यहां लगातार धंस रही है।
जानिए क्या कहते है सचिव: यह सैटेलाइट आधारित है, लेकिन भीतर क्या हो रहा है, जब तक जियो फिजिकल और जियो टेक्निकल स्टडी नहीं होगी, तब तक कारण स्पष्ट नहीं हो पाएंगे। हमारी रिस्क असेसमेंट कमेटी में आईआईआरएस के वैज्ञानिक भी शामिल हैं। उन्होंने अध्ययन की रिपोर्ट सौंपी है।
-डॉ. रंजीत सिन्हा, सचिव, आपदा प्रबंधन