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HSVP: 10 साल से आवंटित प्लॉटों की पजेशन के लिए चक्कर लगा रहे 85 परिवार
रेवाडी: सुनील चौहान। हरियाणा शहरी प्राधिकरण की लापरवाही का खामियाजा लोगों को भुगतना पड रहा है। शहर के सेक्टर-19 में वर्ष-2011 में जो प्लॉट आवंटित किए जा चुके हैं, उन पर 10 साल बाद भी परिवारों को कब्जा नहीं मिल पाया है। इसके लिए लोग लगातार सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं। शहर के सेक्टर-19 में आवंटन के समय खुशी मनाने वाले 85 परिवारों के लिए अब ये प्लॉट न केवल मुसीबत बन गए हैं, क्योंकि बड़ी जमा पूंजी निवेश करने के बाद भी इन्हें पजेशन नहीं मिल पाई है।
हालांकि प्राधिकरण ने इन परिवारों के लिए एडजाॅइनिंग के लिए पुन: प्रस्ताव भेजा है, ताकि इन्हें दूसरे सेक्टरों या उपलब्ध जमीन पर पजेशन दी जा सके। लेकिन यह प्रस्ताव भी मुख्यालय जाकर आगे नहीं बढ़ पा रहा है। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने शहर के सेक्टर-19, 20 के लिए बाईपास पर जमीन का अधिग्रहण किया था।
इस जमीन का अधिग्रहण किए जाने के बाद जिला राजस्व अधिकारी कार्यालय के माध्यम से सेक्शन 4 और 6 की नोटिस प्रक्रिया को पूरी करने के बाद किसानों के खाते में पैसे जमा करा दिए थे। इस अवधि में कई परिवारों ने अधिग्रहण को गलत बताते हुए मुआवजा नहीं लिया और अधिग्रहण को ही रद्द किए जाने की मांग को लेकर अदालत में चुनौती दे दी।
पहला केस वर्ष 2014 में दाखिल किया गया है, जिसमें 2017 में आए फैसले में अदालत ने प्राधिकरण के अधिग्रहण को गलत बताते हुए जमीन रिलीज किए जाने के आदेश दिए। इसके बाद प्राधिकरण ने वर्ष 2018 में फिर से पुनर्विचार याचिका दाखिल की तो उसमें भी अदालत ने अपना आदेश बरकरार रखा। ऐसे में अब मुश्किल यही है कि ऐसे परिवारों को पजेशन कहां और किसकी जमीन पर दी जाए।
विकल्प तलाशने में भी बीता दिया लंबा समय, अब फिर वही स्थिति
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने सेक्टर-19 के लिए जमीन अधिग्रहण होने के बाद काफी जमीन को अदालत के आदेश बाद रिलीज करना पड़ रहा है। हालांकि अदालत का आदेश अपनी जगह है लेकिन सरकारी विभागों द्वारा भी इसमें खूब खेल किया जाता है।
अपने चहेतों और ऐसे परिवारों की भी जमीन को रिलीज कर दिया जाता है जो कि नियम विरूद्ध है और उसी को ही आधार बनाकर लोग अदालतों में पहुंच जाते हैं। ऐसे में सीधे तौर पर अधिकारियों का खेल इस परेशानी की बड़ी वजह है। हालांकि अब प्राधिकरण पिछले दो साल से विकल्प के तौर पर दूसरे सेक्टरों में प्लॉट तलाश रही है जिसके लिए मुख्यालय को प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है लेकिन मुख्यालय से भी इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ है।
निराशा… सीएम विंडो से लेकर ग्रीवेंस मीटिंग में भी उठा चुके मुद्दा : 10 साल से पजेशन के लिए भटक रहे इन परिवारों ने ग्रीवेंस कमेटी के सामने भी यह मुद्दा उठाया है। हालांकि सीएम विंडो में भी उन्होंने शिकायत की, लेकिन उससे कोई समाधान नहीं निकला है। अब ग्रीवेंस की मीटिंग के बाद भी नतीजा निकलता नजर नहीं आ रहा। उम्मीद… विभाग से मंजूरी मिल जाए तो हो सकता है समाधान : यह मामला करीब 7 साल से कोर्ट में चल रहा है। इस समय सर्वोच्च न्यायालय में विभाग ने अपील की हुई है, मगर इसके बावजूद भी समाधान हो सकता है। विभाग मुख्यालय से यदि एडजाॅइनिंग की अनुमति मिलती है तो विकल्प के तौर पर दूसरे प्लॉट दिए जा सकते हैं।
प्राधिकरण की इस मामले में किसी भी स्तर पर चूक नहीं है। हमने जमीन अधिग्रहण करके उसका मुआवजा देने के बाद ही वर्ष 2011 में प्लॉटों का आवंटन किया था। यानी नियम के अनुसार जमीन का मुआवजा वितरित होने के बाद उसका मालिकाना हक प्राधिकरण के पास ही आ जाता है।
अधिग्रहण को वर्ष 2014 में चुनौती दी थी जिसमें अदालत की तरफ से उक्त जमीन को रिलीज करने का आदेश दिया था। ऐसे में प्राधिकरण का किसी भी स्तर पर दोष नहीं है। हमने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की हुई है। इसके अलावा विकल्प के तौर पर दूसरे सेक्टरों में प्लॉट देने के लिए प्रस्ताव मुख्यालय को भेज दिया है। -विजय राठी, संपदा अधिकारी, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण।
जिंदगी भर की मेहनत लगा दी, 10 साल से पजेशन का इंतजार
सेक्टर-19 में सबसे अधिक समस्या 6 मरला के प्लॉट धारकों के लिए खड़ी हो गई। प्राधिकरण ने 3, 8 और 14 मरला के प्लॉटों का दूसरे सेक्टरों में एडजाॅइनिंग की है लेकिन 6 मरला के प्लॉट न तो सेक्टर-4 में है और न ही सेक्टर-18 में है। हालांकि ऐसे परिवारों की संख्या 150 से भी ऊपर है जिनका पैसा जमा है लेकिन उन्हें आज तक पजेशन नहीं मिली है।
6 मरला के ऐसे प्लॉट धारकों की संख्या 85 से अधिक है, जिन्होंने 10 साल पहले घर के लिए अपनी मोटी जमा पूंजी लगा दी लेकिन उनको कुछ भी नहीं मिला। एक पीड़ित चंद्रहास ने बताया कि उन्होंने ओपन मार्केट में वर्ष 2013 में 6 मरला का प्लॉट सेक्टर-19 में खरीदा था। इस वजह से उन्हें पैसा भी अधिक देना पड़ा और रिटायरमेंट की पूरी पूंजी चली गई। अभी तक उन्हें पजेशन नहीं मिली है। प्राधिकरण पैसा भी वापस नहीं कर रहा है और न ही प्लॉट दे रहा है।