Health: देशी घी में मिलावट है या नही ऐसे करें पहचान

GHEE
हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान के बाजारों में खपाया जा रहा गाय की चर्बी से बना नकली घी Health : राजस्थान के अलवर में पकडे गए गोकशी को लेकर बडे बडे खुलासे हो रहे है। गोमांस की होम डिलीवरी के साथ साथ गाय की चर्बी से बने  Fake Cow Ghee नकली देसी घी को भी बाजार में खपाया जा रहा है। ये घी हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली व यूपी तक बेचा जा रहा था। NKLI GHI खेती की आड़ में गोकशी वन विभाग की 80 बीघा जमीन पर गोतस्कर खेती करते थे। तस्करों ने यहां 12 अवैध ठिकाने बनाए हुए थे। इन ठिकानों में ही बिजली व ट्यूबवेल कनेक्शन दिए गए। ट्रांसफार्मर तक की सुविधा गोतस्करों को दी गई।  

चलाया बुलडोजर, कुए में मिले पशुाओं अवशेष

एक दिन पहले मामला खुला तो बुलडोजर चलाने की कार्रवाई की गई। इस दौरान 12 घरों को नष्ट किया गया। छह अवैध ट्यूबवेल कनेक्शन हटाए गए। दो अवैध ट्रांसफार्मर भी जब्त किए गए। इतना ही अब खेतो में बने एक कुए से पशुओ के अवशेष मिले है।   गोतस्कर इसे महज दो सौ से ढाई सौ रुपये किलो के हिसाब से मुहैया कराते हैं, जो ग्राहकों को महंगे दाम पर बेचा जा रहा है। एक दिन पहले राजस्थान के किशनगढ़ बास क्षेत्र में गोतस्करों के बड़े रैकेट का पर्दाफाश होने के बाद जागरण की पड़ताल में यह हकीकत सामने आई है।

जानिण् किस रेट में बिकता था घी Fake Cow Ghee

गोतस्कर गाय का कत्ल कर बड़े-बड़े कड़ाहों में चर्बी निकालते थे। किशनगढ़ बास से 20 किमी दूर स्थित रुंध गिदावड़ा क्षेत्र में इस काम को अंजाम दिया जा रहा था। ग्रामीणों को इसकी जानकारी थी, लेकिन स्थानीय पुलिस लंबे समय तक इससे अनजान बनी रही। बतायाा जा रहा है। ये नकली घी की डिमांड काफी थी

कई आरोपी अभी फरार

कड़ाहों को गर्म करने के लिए जलाई जाने से यहां की मिट्टी काली पड़ गई है जो सारी कहानी बयां करती है। गोतस्कर कुत्तों व चील-कौवों से बचाने के लिए मृत गायों को मिट्टी में दबा देते थे। वहीं, घटना के एक दिन बाद पुलिस ने गोतस्करों और गोकशी करने वालों के नाम उजागर किए हैं। इस मामले में अभी कई आरोपी तथा मास्टर माईड फरार है।

नकली घी की ऐसे करें पहचान Fake Cow Ghee

मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि घी मिलावटी है या नहीं। इसका पता लगाने के लिए आप एक चम्मच घी गर्म कर लें। अगर घी तुरंत पिघल जाता है और इसका रंग बदलकर भूरा हो जाता है तो यह शुद्ध देशी घी है। अगर घी पीले रंग में बदलता है तो यह मिलावटी है। भारतीय घरों में पुराने जमाने से देसी घी खाने पर काफी जोर दिया जाता है। खासतौर पर बच्चों की हड्डियों की मजबूती के लिए देसी घी खाना और इससे मालिश करना भी फायदेमंद माना जाता है।   हालांकि पहले के वक्त में घी ज्यादातर घरों में ही बनाया जाता था, इसलिए इसमें मिलावट की कोई गुंजाइश नहीं रहती थी और बेफिक्र होकर आप इसे खा सकते थे। मगर मार्केट में मिलने वाले घी में मिलावट रहती है, जिसे फायदे की बजाय नुकसान हो सकता है, लेकिन मिलावटी घी की पहचान करना इतना मुश्किल भी नहीं होता है।

पैकिंग में भरके करते थे सप्लाई Fake Cow Ghee

बताया जा रहा ये पैकिंग में घी को सप्लाई करते थे। कई जाने-माने ब्रांड के रैपर में पैक कर इसे सप्लाई किया जाता था। हरियाणा बेस्ट, पंजाब गोल्ड, सत्यम, बाबा जी, हरियाणा डेयरी, परमानंद, वीर, गोल्ड प्लस की पैकिंग में 110 रुपए प्रति किलो के हिसाब से देशभर के बाजारों में होलसेल में सप्लाई होता है। सेहत विभाग का कहना है कि सैंपल रिपोर्ट आने के बाद ही इसके बारे में कुछ कहा जा सकता है। सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं।