हरियाणा: सुविधा व सही शिक्षा नहीं मिलने से आजकल सरकारी स्कूलो की हालत बिगडती जा रही है। शिक्षा विभाग व सरकार झूठे आंकडे पेश कर लोगो को गुमराह कर रहे है। हाई कोर्ट (HIGH COURT) के जस्टिस विनोद एस भारद्वाज ने हरियाणा के सरकारी स्कूलों में मुलभूत सुविधाओं की कमी से जुड़े मामले की सुनवाई की तथा एक बार विभाग को लताड लगाई।
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हरियाणा सरकार की ओर से दायर किया गया नया हलफनामा शुक्रवार को हाई कोर्ट के आदेश पर हरियाणा स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल व महानिदेशक आशिमा बराड़ व्यक्तिगत तौर पर पेश हुए। सरकार की तरफ से हाई कोर्ट में स्कूलों के सुधार के लिए उठाए गए कदमों पर एक हलफनामा दायर किया गया।
स्कूलों के सुधार के लिए सक्रिय योजना होनी चाहिए न कि केवल आंकड़ों का खेल हो। इसके लिए अधिकारियों को एक्टिव मोड में रहना होगा, प्लानिंग मोड में नहीं। चार कमरे के निजी स्कूलों में प्रवेश के लिए लंबी लाइन लगती है, जबकि पांच एकड़ के सरकारी स्कूल बच्चों के लिए तरसते हैं। जस्टिस भारद्वाज ने कहा कि उन्होंने देखा है कि सरकारी स्कूलों में बिजली के बिल भरने के लिए टीचर बच्चों से पैसे एकत्र करते हैं।
कई कॉलेजो में स्टाफ ही नही ह। इसी के चलते स्टाफ को अतिरिक्त कार्यभार दिया जाता है। जिस कारण दोनों कॉलेजों को नुकसान होता है। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कोर्ट रूम में मौजूद हरियाणा के स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल से पूछा कि स्कूल शिक्षा विभाग में कितने पद खाली हैं। जिस पर कोर्ट को बताया गया कि लगभग 26 हजार पद रिक्त चल रहे हैं।Rewari: विकसित भारत बनाने का दिलाया संकल्प: डा अरविंद
भर्ती के बावजूद पद खाली क्यों: इस पर कोर्ट ने कहा कि जिस दिन कोई टीचर नियुक्त होता है। उस दिन उसकी सेवानिवृत्ति की तारीख भी तय हो जाती है। फिर भी पद खाली क्यों रह जाते हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसी कोई योजना क्यों नहीं है कि सेवानिवृत होने से पहले पद भर जाएं।