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Haryana में मौसम का बदला मिजाज, बारिश की कमी से फसलों पर संकट

On: February 10, 2025 11:21 AM
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Haryana में इस बार मौसम पूरी तरह से बदल गया है। आमतौर पर जनवरी और फरवरी को बारिश के लिए बेहतरीन महीने माना जाता है, लेकिन इस साल इन महीनों में मौसम का पैटर्न पूरी तरह से अलग रहा।

जनवरी में बारिश की कमी, फरवरी में भी नहीं उम्मीद

इस साल जनवरी का महीना बहुत कम बारिश के साथ समाप्त हुआ। वहीं, फरवरी में भी बारिश होने की कोई संभावना नहीं दिख रही है। बारिश की कमी के कारण पर्यावरण और कृषि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

मौसम विभाग की भविष्यवाणी

भारतीय मौसम विभाग (IMD) का कहना है कि अब यदि बारिश होती भी है तो उसकी कमी को पूरा कर पाना मुश्किल होगा। इस महीने में भी बारिश की संभावना बहुत कम है। पहले पखवाड़े में कोई महत्वपूर्ण बारिश नहीं होगी और लंबे समय तक शुष्क मौसम बना रह सकता है।

गेंहू की पैदावार पर पड़ सकता है असर

किसानों के लिए यह चिंता का विषय है क्योंकि अच्छे गेहूं उत्पादन के लिए औसत तापमान 15 से 16 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए। लेकिन इस बार पश्चिमी विक्षोभ के कमजोर पड़ने के कारण बारिश में भारी कमी आई है। यदि तापमान इसी तरह बढ़ता रहा, तो गेहूं की फसल पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है और उत्पादन में भी गिरावट आने की आशंका है।

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मौसम

वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ी

वैज्ञानिक भी जनवरी महीने में सर्दी के कम होने और तापमान बढ़ने को लेकर चिंतित हैं। आमतौर पर इस समय ठंड बनी रहती है, लेकिन इस बार मौसम पूरी तरह से बदल गया है। इस बदलाव से कृषि वैज्ञानिक भी परेशान हैं। वे किसानों को सलाह दे रहे हैं कि वे दिन के समय भी फसलों की सिंचाई करें ताकि नमी बनी रहे।

कृषि विशेषज्ञों की सलाह

बारिश की कमी और बढ़ते तापमान को देखते हुए कृषि विशेषज्ञ किसानों को फसलों की सुरक्षा के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाने की सलाह दे रहे हैं:

  1. सिंचाई पर विशेष ध्यान दें: कम बारिश की स्थिति में नियमित अंतराल पर सिंचाई करें।
  2. खेतों में नमी बनाए रखें: फसल की नमी बरकरार रखने के लिए जैविक मल्चिंग का उपयोग करें।
  3. तापमान की निगरानी करें: किसानों को सलाह दी जा रही है कि वे मौसम के पूर्वानुमान पर ध्यान दें और उसी के अनुसार कृषि गतिविधियों की योजना बनाएं।
  4. खाद एवं उर्वरकों का संतुलित उपयोग करें: फसलों को आवश्यक पोषक तत्व मिलें, इसका ध्यान रखें।
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पर्यावरणीय प्रभाव

बारिश की कमी का प्रभाव केवल फसलों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर पूरे पारिस्थितिकी तंत्र पर भी पड़ सकता है। जल स्रोतों में पानी की कमी हो सकती है, जिससे नदियों और झीलों का जलस्तर घट सकता है। साथ ही, भूजल स्तर पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

किसानों की चिंता

हरियाणा के किसान इस समय बेहद चिंतित हैं। पानी की कमी के कारण खेतों में पर्याप्त नमी नहीं रह पा रही है, जिससे गेहूं की फसल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। किसान इस बात को लेकर भी परेशान हैं कि यदि बारिश नहीं हुई और तापमान बढ़ता रहा, तो उत्पादन में भारी गिरावट आ सकती है।

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सरकार से राहत की उम्मीद

किसानों को सरकार से राहत पैकेज की भी उम्मीद है। अगर स्थिति नहीं सुधरती है, तो सरकार से उम्मीद की जा रही है कि वह किसानों की मदद के लिए राहत योजनाएं शुरू करेगी।

हरियाणा में इस साल जनवरी और फरवरी के महीने में बारिश की कमी से किसानों और वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ गई है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, फरवरी में भी कोई खास बारिश होने की संभावना नहीं है, जिससे गेहूं की फसल को नुकसान हो सकता है। ऐसे में किसानों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है और सरकार को भी किसानों के लिए राहत योजनाएं लागू करने पर विचार करना चाहिए।

हरियाणा के किसानों के लिए आने वाले दिन चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं, लेकिन अगर सही कृषि तकनीकों और वैज्ञानिक सलाह का पालन किया जाए, तो इस स्थिति से निपटा जा सकता है।

Harsh

मै पिछले पांच साल से पत्रकारिता में कार्यरत हूं। इस साइट के माध्यम से अपराध, मनोरंजन, राजनीति व देश विदेश की खबरे मेरे द्वारा प्रकाशित की जाती है।

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