हरियाणा: अक्सर लोग परिवार का सहयोग नही मिलने पर हार मान लेते है। लेकिन 12 साल की उम्र में पिता का साया छूटने के बावजूद हिसार की बेटी अनिता कुंडू ने किसी भी खेल या काम का लेकर हार नही मानी। अनीता कुंडू की कड़ी मेहनत और बुलंद हौसले ने उसके पर्वतारोही बनने के सपने को साकार कर दिया है.
Rewari Crime: ढाबे पर शराब बेचता काबू, 72 बोतल बरामदकुंडू ने बताया कि उन्होंने पहली बार 2013 में नेपाल की तरफ से माउंट एवरेस्ट फतह किया था। 2015 में उन्होंने दोबारा तैयारी की थी लेकिन भूकंप के कारण बीच रास्ते से ही लौटना पड़ा। इसके बाद 2017 और फिर 2019 में यह इस ऊंचाई पर पहुंचीं।
तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार से सम्मानित
अनीता कुंडू को दो साल पहले तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार मिला था। कुंडू ने कई अन्य महाद्वीपों में भी चोटियों को फतह किया है। इन साहसिक कार्यों के लिए, उनके बेजोड़ समर्पण के लिए उन्हें यह पुरस्कार दिया गया।
पिछले महीने हरियाणा के दो दिवसीय दौरे पर आईं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पूरे देश के सामने महिला सशक्तिकरण की बेहतरीन मिसाल पेश करने के लिए राज्य की बेटियों की जमकर तारीफ की थी।
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तीन बार एवरेस्ट किया फतह
अनीता कुंडू 2013 से 2019 तक तीन बार माउंट एवरेस्ट फतह कर चुकी हैं। आने वाले साल में वह एक बार फिर एवरेस्ट की ऊंचाई फतह करना चाहती हैं। 2008 में पुलिस सेवा में शामिल होने के दौरान कुंडू ने पर्वतारोही बनने का फैसला किया। उन्होंने एक पर्वतारोहण बूट शिविर में दाखिला लिया और भोजन और पानी के बिना कठोर परिस्थितियों में जीवित रहने का प्रशिक्षण लिया।
आर्थिक स्थिति कमजोर, मगर नहीं मानी हार
कुंडू ने अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए बताया कि वह सुबह 4 बजे उठकर दूध बेचने का काम करती थी। उन्होंने बताया कि बचपन से ही वह जिंदगी में कुछ अलग करना चाहते थे. उनके पिता चाहते थे कि वे बॉक्सर बनें। उनकी आर्थिक स्थित काफी कमजारे थी, लेकिन उसने मेहनत करने को लेकर कभी हार नहीं मानी।