भिवानी के एक किसान के बेटे सचिन ने संघर्ष की नई कहानी लिखी है। जो यूपीएससी की तैयारी कर रहे हर बच्चे को प्रेरित करेगी। यह वही सचिन है जिसे एक स्कूल ने नाकाबिल समझकर निकाल दिया था। जब दूसरे स्कूल ने उसे स्वीकार किया तो अब उसने यूपीएससी परीक्षा पास कर ली है। हम बात कर रहे हैं भिवानी के बड़ेसरा गांव के रहने वाले सचिन पंवार की। जिसके पिता गर्मी-सर्दी की परवाह किए बिना धरती का सीना चीरकर किसी तरह अपने परिवार का पेट पाल रहे थे। उन्होंने अपने बेटे सचिन को भिवानी के एक निजी स्कूल में पढ़ने के लिए भेजा था। लेकिन उस स्कूल ने उसे नाकाबिल समझकर निकाल दिया।
पिता को रिहा करवाने के लिए यूपीएससी परीक्षा हल की
इसके बाद सचिन पंवार ने दूसरे स्कूल में एडमिशन ले लिया। यहां उसने अपना खेल छोड़कर पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित किया। जल्द ही सचिन ने अपने पिता को रिहा करवाने के लिए यूपीएससी परीक्षा हल की और 612वीं रैंक हासिल की। वह संघर्ष की यह कहानी सुनाने और दूसरे बच्चों को प्रेरित करने के लिए अपने स्कूल आया था।
परिणाम से ज्यादा अपने प्रयासों में सफलता तलाशें
सचिन पंवार ने कहा कि यूपीएससी की तैयारी के लिए खूब पढ़ाई करनी पड़ती है। प्री परीक्षा के लिए 7-8 घंटे और मेन्स के लिए 10-10 घंटे की जरूरत होती है। सचिन का कहना है कि परिणाम से ज्यादा अपने प्रयासों में सफलता तलाशनी चाहिए। इस मुकाम को हासिल करने में उनके माता-पिता, शिक्षकों और दोस्तों ने उनका पूरा साथ दिया है।
सचिन के गुरु समशेर सिंह ने सचिन के संघर्ष और सफलता के बारे में बताया कि सभी बच्चे बराबर हैं। लेकिन जब कोई बच्चा असफल होता है तो असल में वह बच्चा नहीं बल्कि माता-पिता और शिक्षक असफल होते हैं। उन्होंने कहा कि जब सचिन को दिशा मिली तो वह डीयू चला गया, जहां व्यक्तित्व का विकास होता है और प्रतिस्पर्धा में बाजी मारी जाती है।

















