सारिस्का से भटके झाबुआ के जंगल में रह रहे बाघ को वन विभाग की टीम ने रेस्क्यू किया, रणथंभौर से बुलाई गई स्पेशल टीम
Tiger News Update: हरियाणा के जिले रेवाड़ी के गांव झाबुआ के जगल मेें रह रहे (Tiger ST 2303) बाघ को वन विभाग की टीम ने रेस्क्यू किया करीब 71 दिन में ट्रेंकुलाइज कर अपने कब्जे में ले लिया। 18 गांवों के चेतावनी के बाद ही वन विभाग हरकत मे आया है। बाघ के पकडे जाने के बाद दोनों ही राज्यों के वन अधिकारियों ने राहत की सांस ली।
बता दे कि 16 अगस्त को राजस्थान-हरियाणा सीमा पर अलवर के सरिस्का से निकलकर आए बाघ (एसटी-2303) झाबुआ के जंगल में छीपा हुआ था। बाघ करीब राजस्थान-हरियाणा वन विभाग की टीम के लिए चुनौती बना हुआ था। कई बार वन विभाग की टीम ने टाइगर एसटी-2303 को ट्रेंकुलाइज करने का प्रयास किया लेकिन सफलता नही मिली।
चेतावनी के बाद जागा विभाग: बता दे कि दो दिन पहले बावल क्षेत्र के 18 गांवो के लोगों ने रेवाड़ी के उपायुक्त से मिलकर बाघ को पकडवाने की मांग की थी। इतना ही आंदोलने की चेतावनी भी दी थी।Tiger ST 2303
ग्रामीणों का कहना था कि बाघ की दहशत से लाेगों ने खेतों की देखरेख करनी छोड़ दी है। बाघ गावं में 20 से अधिक पशुओ को शिकार बना चुका है। लोगो की चेतवनी के बाद रेवाड़ी उपायुक्त अभिषेक मीणा ने राजस्थान के वन विभाग के अधिकारियों से ने संयुक्त आपरेशन चलवाया।Tiger News Update
बाघ बना था चुनौती: एसटी-2303 बाघ बार बार लोकेशन बदल रहा था। सरिस्का टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर संग्राम सिंह ने बताया कि बाघ नए ठिकाने की तलाश में राजस्थान-हरियाणा सीमा के गांव झाबुआ वन क्षेत्र में आ गया था। कई बार प्रयास किया लेकिन सफलत नहीं मिली थी।
किया काबू: टीम में रविवार देर शाम को टाइगर एसटी-2303 को ट्रेंकुलाइज कर लिया गया और फिर उसे अधिकारियों के निर्देश पर दूसरी जगह शिफ्ट करने की तैयारी चल रही है।बाघ के पकडे जाने के बाद दोनों ही राज्यों के वन अधिकारियों व 18 गांवो के लोगो ने राहत की सांस ली।
रणथंभौर से बुलाई गई स्पेशल टीम
ऑपरेशन में सहायता के लिए रणथंभौर टाइगर रिजर्व (Ranthambore Tiger Reserve) से एक विशेष टीम को बुलाया गया । क्योंकि ये टीम तो कई बार प्रयास करच चुकी थी लेकिन सफलता नहीं मिल रही थी। रविवार शाम साढ़े छह बजे बाघ को सफलतापूर्वक शांत किया गया।
राजस्थान Shfit होगा टाइगर: बता दे कि टीम न उसे काबू कर लिया है। बाघ को वापस राजस्थान ले जाया जाएगा और उसके प्राकृतिक आवास के भीतर एक उपयुक्त स्थान पर छोड़ा जाएगा तकि वह दोबारा इधर नहीं आए