Haryana: रेवाडी के इस होटल के जायकेदार परांठे, खुशबू ऐसी कि दिल्ली से खींचे चले आते हैं लोग

Haryana: : किसी ने ठीक ही कहा है होटल चाहे आपकी किसी गली में हो, अगर जायका है तो लोग खुद ही दोडे चले आते है. जी हां हम बात कर रहे है रेवाडी के कुंड स्टेंउ पर बने अशोका होटल की. इस होटल पर हरियाणा ही दिल्ली एनसीआर के लोग भी दोडे चले आ रहे है.

जानिए कहां है यह होटल

रेवाड़ी से नारनौल रोड पर रेवाडी से करीब 20 km दूर कुंड बस स्टैंड पर अशोका होटल है. (Ashoka Hotal kund) अशोक के निधन के बाद उनके छोटे भाई राम किशन रेस्टोरेंट चला रहे हैं.ASHOKA hotal kund

छाए अशोक होटल के पराठे

रेवाडी शहर में भगत जी जलेबी वाला, प्रभात बर्फी वाला, भगवान दास लडडू वाले को कोन नहीं जानता है. किसी शहर की जलेबी मशहूर है तो किसी शहर के छोले- भटूरे तो कही की पाव- भाजी और टिक्की मशहूर है. रेवाड़ी शहर में स्थित ओल्ड अशोका होटल अपने परांठों की वजह से सुर्खियां बटोर रहा है.

 

दिल्ली एनसीआए में पहुंची खुशबू

इस होटल पर देशी घी से बनने वाले परांठों की खुशबू दिल्ली से लोगों को यहां खींच ले आती है. परांठों का स्वाद चखने के लिए यहां हर वक्त लोगों की भीड़ लगी रहती है. आसपास ही नहीं बल्कि दूरदराज क्षेत्रों से भी लोग यहां परांठे खाने पहुंचते हैं.

58 साल पुराना है होटल

अशोका होटल की शुरुआत मनेठी निवासी सुल्तान सिंह यादव ने साल 1972 में की थी. उन्होंने अपने बड़े बेटे अशोक के नाम पर इसकी शुरुआत की. पहले यहां सिर्फ साधारण ढाबा चलाया जाता था, लेकिन साल 1992 के बाद पराठों के लिए लोगों का प्यार देखकर यहां केवल परांठे परोसे जाने लगे

इस रेस्टोरेंट में केवल सुबह ही नहीं बल्कि पूरा दिन परांठे चलते हैं। यह होटल स्पेशल परांठों के लिए प्रसिद्ध है. पराठो का जायका ऐसा है कि यहां से गुजरने वाले इस होटल पर जाए बिना रह ही नहीं सकता.

कई तरह के पराठ उपलब्ध
यहां पर आलू पराठे, प्याज पराठे, मिक्स वेज पराठा, पनीर पराठा ऐसी ही कई वैरायटी के परांठों का स्वाद आप चख सकते हैं. उन्होंने बताया कि वह घर के बने मसालों का इस्तेमाल करते हैं और ग्राहकों के लिए खुद पराठे तैयार करते हैं.OLD ASHOK HOTAL KUND

सबसे अलग है स्वाद

लोगों का कहना है कि इन पराठों का स्वाद कुछ अलग ही है। रेवाड़ी ही नहीं बल्कि दिल्ली और राजस्थान के लोग भी यहां परांठे खाने आते हैं। जिन लोगों को इस रास्ते से निकलना होता है तो वे परांठों का स्वाद चखे बिना आगे नहीं बढ़ते है। लोग यहां पराठे तो खाते ही हैं, अपने घर पर रिश्तेदारों के लिए भी लेकर जाते हैं।