Sheetla mata mandi : शीतला माता मंदिर में हर साल करीबन 15 लाख से भी ज्यादा भक्त आते हैं। इस मंदिर में लाल रंग का दुपट्टा चढ़ाया जाता है और उसके साथ मुरमुरा प्रसाद के रूप में दिया और चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि देवी हर रोग और कष्ट को दूर करती हैं।
महाभारत काल से है मंदिर का कनेक्शन: शीतला माता मंदिर का कनेक्शन महाभारत काल से है, माना जाता है इसी स्थान पर द्रोणाचार्य ने कौरवों और पांडवों को प्रशिक्षित किया था। स्कन्द पुराण में भी इस मंदिर से जुड़ी कई बातें बताई गई हैं। मान्यता के मुताबिक ब्रह्मा जी ने शीतला माता को दुनिया को आरोग्य रखने का कार्य दिया था।
हजारों की संख्या में भक्त यहां माता के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। बच्चों को अगर किसी भी तरह की नकारात्मक ऊर्जा से बचाना है तो एक बार उन्हें यहां जरूर लाए, यही नहीं माता-पिता उनका मुंडन भी कराने आते हैं।
शीतला सप्तमी का त्योहार: होली के सातवे दिन बाद शीतला सप्तमी का त्योहार मनाया जाता है, हर साल ये फेस्टिवल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन आता है। कहीं ये पर्व आठवे दिन भी सेलिब्रेट होता है, जिसे इस दिन को शीतला अष्टमी के नाम से भी फेमस है। इस साल ये पर्व 2 अप्रैल को मनाया जाएगा। Sheetla mata mandir शीतला सप्तमी को बसौड़ा भी कहते हैं। ये पर्व मौसम में आए बदलाव के रूप में भी फेमस है।
कुलदेवी के रूप में होती है पूजा: शीतला माता को ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय, जाट और गुर्जर जैसे कई समाजों में कुलदेवी के रूप में पूजा जाता है। गुरुग्राम के शीतला माता मंदिर में ना केवल स्थानीय लोग आते हैं, बल्कि दूसरे शहरों से लोग यहां अक्सर शादी करते हैं या फिर बच्चों का मुंडन करवाते हैं।
बरगद पेड की खासियत: इस मंदिर के मेन गेट पर आपको बरगद का भी पेड़ दिखाई देगा। माना जाता है कि श्रद्धालु अपनी इच्छा को पूरा करवाने के लिए पेड़ से चुन्नी या मौली बांधते हैं और शीतला माता को जल चढ़ाकर मन्नत मांगते हैं। महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए माता की पूजा करते हैं।