Haryana खेलों की प्रतिभाओं का जन्मस्थान माना जाता है, लेकिन खेल विभाग के भीतर राजनीतिक और प्रशासनिक हस्तक्षेप ने सरकारी नीतियों की विश्वसनीयता को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। राज्य सरकार ने 2018 में खेल ग्रेडेशन नीति जारी की थी और उसी साल नवंबर में इसे संशोधित करके पुनः अधिसूचित किया गया था। इसका उद्देश्य खिलाड़ियों के हित में पारदर्शिता और मेरिट के आधार पर ग्रेडेशन सुनिश्चित करना था। लेकिन जानकारी के अनुसार, कुछ जिला खेल अधिकारी (DSO) ने अपनी मर्जी से ग्रेडेशन प्रमाण पत्र जारी किए, जो नीति के विपरीत थे।
खेल विभाग के अतिरिक्त निदेशक की ओर से उप-निदेशक सतबीर सिंह ने अब इस गैरकानूनी प्रथा के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। लगभग 16 डीएसओ को उनके कार्यों की व्याख्या के लिए नोटिस भेजे गए हैं। विभाग की जानकारी के अनुसार, लगभग 143 खेल ग्रेडेशन प्रमाण पत्र ऐसे पाए गए हैं, जो न तो मूल नीति (25 मई 2018) के अनुरूप हैं और न ही संशोधित नीति (15 नवंबर 2018) के। अब इन प्रमाण पत्रों को रद्द करने की कार्रवाई की जा रही है। विभाग जांच कर रहा है कि क्या ये प्रमाण पत्र किसी दबाव, सौदेबाजी या लापरवाही के कारण जारी किए गए थे।
कौन से जिले और DSO शामिल
नोटिस उन डीएसओ को भेजे गए हैं जिन्होंने बीकानेर, फरिदाबाद, हिसार, झज्जर, जींद, करनाल, महेंद्रगढ़, पानीपत, रोहतक, सोनीपत, फतेहाबाद और चरखी दादरी में अनियमित प्रमाण पत्र जारी किए। इसमें मेरिट और नियम का पालन नहीं करने वाले डीएसओ के नाम और जिले इस प्रकार हैं: मैरी मसिह (फरिदाबाद), सत्यदेव मलिक, सतपाल धंडा, गंगादत्त (हिसार), सुदेश कुमार (फतेहाबाद), राजेंद्र सिंह शास्त्री (चरखी दादरी), सुखबीर सिंह, राजबला (रोहतक), विनोद बाला, संतोष धीमन, दिलबाग (जींद), जय सिंह पिलानिया (नारनौल), जे. जी. बनर्जी, कृष्ण कुमार धंडा (भिवानी), अनिल कुमार (कर्नाल), राज यादव (पानीपत) आदि। यह स्पष्ट करता है कि यह समस्या राज्य के कई जिलों तक फैली हुई है।
अनियमित प्रमाण पत्र रद्द और विभागीय कार्रवाई
जारी किए गए प्रमाण पत्र खेल नीति के अनुसार मान्य नहीं हैं। विभाग ने स्पष्ट किया कि ताइक्वांडो में 4, एथलेटिक्स में 5, वॉलीबॉल में 6, खो-खो में 10, सर्कल कबड्डी में 23, नेटबॉल और थ्रोबॉल में 89, और कोर्ट मामलों के आधार पर 6 प्रमाण पत्र रद्द किए जाएंगे। विभाग ने सभी अधिकारियों को चेतावनी दी है कि यदि वे निर्धारित समय में जवाब नहीं देते हैं, तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। उप-निदेशक सतबीर सिंह ने कहा कि फिलहाल मैं अपने पुत्र की शादी में व्यस्त हूं, इसलिए इस मामले की और जानकारी मेरे पास उपलब्ध नहीं है।

















