नई तकनीक और ड्रोन की मदद से बदल रही है अब खेती की तस्वीर
एक एकड़ में 10 मिनट में हो जाता है छिडक़ाव, घंटो का काम मिनटो में
हरियाणा: हरियाणा के जिला रेवाडी के गांव चांदूवास की प्रियंका 9Rewari News) ने ड्रोन पायलट बनकर नारी सशक्तिकरण को नई राह दिखाई है। ग्रामीण परिवेश से संबंध रखने वाली प्रियंका ने रेवाड़ी महिला किसान ड्रोन केंद्र से ड्रोन के उपयोग में महारत हासिल की और अब ड्रोन पायलट बन गई हैं। अब प्रियंका ड्रोन दीदी के नाम से जानी जाएगी।
नई तकनीक और ड्रोन की मदद से अब खेती की तस्वीर बदल रही है। नई तकनीक के माध्यम से अब घंटो का काम मिनटों में हो रहा है। किसानों की सेहत को बेहतर करने में भी ड्रोन से कीटनाशक दवाओं का छिडक़ाव जैसी सुविधा बेहद कारगर साबित हो रही है। खेती में नई तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा भी धरातल पर गंभीर प्रयास किए जा रहे है। ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ इसका जीवंत उदाहरण है जिसमें जिला के सभी गांवों में किसानों के समक्ष ड्रोन से नैनो यूरिया का छिडक़ाव कर सफल डेमो दिया गया है।Haryana: करनाल में रोजगार को लेकर हुआ बवाल
जिसके उपरांत जिला के किसान भी आगे आकर खेतीबाड़ी में ड्रोन के इस्तेमाल में रुचि दिखा रहे हैं। किसानों के हित को देखते हुए सरकार ने भी ड्रोन के इस्तेमाल को प्रोत्साहन देने के लिए नमो ड्रोन दीदी नाम से कार्यक्रम चलाया है। जिसमें स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को जोडक़र उन्हें ड्रोन पायलट का नि:शुल्क प्रशिक्षण व ड्रोन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत जिला के गांव चांदूवास की प्रियंका ने ड्रोन पायलट का प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
डीसी राहुल हुड्डा ने कहा कि कृषि में महिलाएं एक महत्वपूर्ण भाग अदा करती हैं। महिलाएं कृषि संबंधी अनेक क्रियाओं में सक्रिय भागीदारी निभाकर कृषि के स्थाई विकास में योगदान देती हैं। ऐसे में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर व आर्थिक मजबूती प्रदान करते हुए उन्हें केंद्र सरकार की नमो ड्रोन दीदी योजना से जोडक़र उन्हें आर्थिक संबल दिया जा रहा है।
एक एकड़ में 10 मिनट में हो जाता है छिडक़ाव
डीसी ने बतया कि खेतों में पारंपरिक तरीकों से दवाई छिडक़ाव पानी व समय की खपत के साथ-किसान की सेहत पर भी विपरीत प्रभाव डालते हैं। ऐसे में तकनीक के इस नए अविष्कार ड्रोन से ना सिर्फ पानी व समय की बचत करती है बल्कि खेतों में नैनो यूरिया अथवा नैनो डीएपी के माध्यम से दवाई का छिडक़ाव एक निर्धारित मात्रा में ही किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि आमतौर पर एक एकड़ में दवा के छिडक़ाव के लिए 150 से 200 लीटर पानी की आवश्यकता होती है, जबकि ड्रोन तकनीक में केवल 10 लीटर पानी की जरूरत पड़ती है जिससे 1 एकड़ में 10 मिनट में दवा का छिडक़ाव किया जा सकता है।
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ड्रोन पायलट का प्रशिक्षण देगी प्रियंका
उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत जिला के गांव चांदूवास की प्रियंका को इफको की तरफ से ड्रोन पायलट का प्रशिक्षण दिया गया है। नमो ड्रोन दीदी की यह योजना स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को लखपति दीदी बनाने में भी कारगर भूमिका निभा रही है। किसान द्वारा प्रत्येक एकड़ पर इन्हें सौ रुपये भुगतान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि जिला को ड्रोन स्प्रे के तहत 4000 एकड़ का टारगेट दिया गया है। उन्होंने बताया कि ड्रोन स्प्रे में जिला के किसान विशेष रूचि ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि परम्परागत तरीके से यूरिया या दवाई का स्प्रे करते वक्त किसानों के सामने भी कई चुनौती आ जाती हैं।
दवाई और यूरिया के छिडक़ाव के लिए एक बेहतरीन तकनीक
छोटी ऊंचाई की फसलों पर तो आसानी से स्प्रे हो जाती है, लेकिन ऊंचाई वाली फसलों में स्प्रे करने में दिक्कतें हो जाती है। ऐसे में इस तकनीक से न केवल कम ऊंचाई वाली फसलों बल्कि ज्यादा ऊंचाई वाली फसलों जैसे बाजरे आदि पर भी आसानी से दवा का छिडक़ाव किया जा सकता है। दवाई और यूरिया के छिडक़ाव के लिए एक बेहतरीन तकनीक है। इस तकनीक के द्वारा इंसान पर दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता, इसके अलावा फसलों पर एक समान छिडक़ाव होता है।