दिल्ली: राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा ईंट भट्ठों को बंद करने के जारी आदेश को अव्यवहारिक बताते हुए यूनियनें सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई हैं। बढ़ते प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में NGT ने ईंट भट्ठे बंद करने का आदेश जारी किया है। NGT के अनुसार इन एरिया में सिर्फ 33 फीसदी भट्ठों को चालू किया जाएगा व बाकि 66 फीसदी को बंद किया जाएगा। इस आदेश को यूपी, हरियाणा, राजस्थान की भट्ठा यूनियनों ने गलत बताया है और इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कोर्ट में इस मामले पर 13 दिसंबर को सुनवाई होगी।
NGT में हरियाणा, यूपी व राजस्थान के 26 जिले आते हैं। इनमें हरियाणा का रोहतक, भिवानी, सोनीपत, रेवाड़ी, पानीपत, करनाल, जींद व यूपी के गाजियाबाद, मेरठ, बागपत, हापुड़, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर व राजस्थान का अलवर, भरतपुर का एरिया शामिल है। इन जिलों में दो हजार के करीबन ईंट भट्ठे आते हैं जिनको बंद करने का आदेश NGT ने जारी किया है। NGT के अनुसार इन जिलों में स्थित ईंट भट्ठों की नंबरिंग की जाए। पहले साल 100 में से 33 भट्ठों को चलवाया जाए। दूसरे साल 33 व तीसरे साल बाकि 33 को चलवाया जाए। इस नियम से सिर्फ 33 फीसदी भट्ठे ही चलेंगे, जिससे प्रदूषण कम होगा। भट्ठे चलाने का निर्धारण ड्रा के द्वारा किया जाए।
यूनियन प्रधान बोले- लेनदेन का हिसाब भी गड़बड़ा जाएगा:
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले यूनियन प्रधान सुरेंद्र चौहान ने बताया कि यह नियम पूरी तरह से गलत है। तीन साल में एक बार भट्ठा चलाने की अनुमति मिलने पर तीन गुणा तक बजट का प्रबंध करना पड़ेगा। इसके अलावा भट्ठों पर काम करने वाले वर्करों के साथ लेनदेन का हिसाब भी गड़बड़ा जाएगा। हर साल मजदूरों को भी नई जगहों पर रोजगार के लिए भटकना पड़ेगा। इसके अलावा मौजूदा भट्ठों पर NGT की गाइडलाइन के अनुसार हाईड्रा तकनीक से ईंटें पकाई जाती हैं, जिससे कम प्रदूषण होता है।