मिट्टी ‘बचेगी’ तो ही बचेगा ‘जीवन’ :सद्गुरु जग्गी वासुदेव

दुनिया के तमाम देशों से धरती को बचाने की पहल का किया आह्वान किया।
हरियाणा: फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने कहा कि मिट्टी बचेगी तो ही जीवन बचेगा। बाइक यात्रा के माध्यम से लोगों के बीच जगह-जगह धरती को बांझ होने से बचाने की अपील की। स्वयंसेवकों की टोलियों के माध्यम से दुनिया के तमाम देशों से धरती को बचाने की पहल करने का आह्वान किया।

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लंदन से शुरू हुआ बाइक यात्रा: धरती की उर्वरा शक्ति बचाने का लक्ष्य लेकर लंदन से शुरू हुई ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव की बाइक यात्रा ने मृदा संरक्षण अभियान (सेव सायल कंपेन) के 75वें दिन राजस्थान से हरियाणा में प्रवेश किया। हाईवे न 48 पर उनका भव्य स्वागत किया गया।

 

SADGURU

 

 

 

 

जरूरी है मिट्टी की उर्वरा शक्ति बचाना

अगर समय रहते नहीं संभला गया तो 50-55 वर्ष बाद दुनिया में भीषण खाद्य संकट पैदा हो जाएगा। रंग महल के हाल में लगे विशाल स्क्रीन पर जैविक खेती की जरूरत को भी समझाया गया। सद्गुरु वासुदेव का संदेश आंखें खोलने वाला था। इस संदेश में कहा गया है कि अगर मिट्टी के ऊपर की छह इंच परत में आर्गेनिक तत्वों की मात्रा केवल एक फीसद बढ़ा दी जाए तो मिट्टी की पानी रोकने की क्षमता एक लाख 80 हजार लीटर प्रति हेक्टेयर बढ़ जाएगी।

जल संरक्षण जरूरी: स्वयंसेवकों ने पोस्टरों व बैनरों के माध्यम से भी मृदा संरक्षण की आवश्यकता को अच्छी तरीके से समझाया। उन्होंने बताया कि आखिर क्यों इस तरह के अभियान की जरूरत पड़ी। ऐसा इसलिए, क्योंकि धरती की उर्वरा शक्ति तेजी से घट रही है। इससे जल संरक्षण व मृदा संरक्षण का मकसद पूरा होने में मदद मिलेगी।

पर्यावरण दिवस पर बड़ा संदेश :

सद्गुरु की इस यात्रा के दिल्ली पहुंचने के मायने इसलिए अहम है, क्योंकि रविवार को ही विश्व पर्यावरण दिवस है। जग्गी वासुदेव की इस यात्रा के मूल में पर्यावरण संरक्षण ही है। मृदा संरक्षण होगा तो ही पर्यावरण संरक्षित हो पाएगा।

27 देशों में पहुंचे सदगुरू:

रेवाड़ी व गुरुग्राम होते हुए वह शनिवार को ही नई दिल्ली के लिए रवाना हो गए। ईशा फाउंडेशन की प्रतिनिधि नीलम चंद्र के अनुसार सद्गुरु दिल्ली में दो से अधिक स्थानों पर लोगों को जागरूक करेंगे। सदगुरु के सेव द सायल अभियान पर 74 देशों के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए हैं।
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100 दिन में 30 हजार किमी की यात्रा: उनकी यात्रा का उद्देश्य तेजी से घट रही धरती की उर्वरा शक्ति को बचाना है। यह तभी संभव है, जब हम जैविक खेती की ओर लौटेंगे। सद्गुरु ने अपनी 100 दिनों की 30 हजार किमी की यात्रा लंदन से शुरू की थी। वह मृदा संरक्षण अभियान को लेकर यूरोप, मध्य पूर्व और मध्य एशिया के 27 देशों से होकर फिर भारत पहुंचे हैं। उन्होंने 29 मई को जामनगर से गुजरात में प्रवेश किया था।