Lal Dora Yojana: पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा शुरू की गई लाल डोरा योजना अब फरीदाबाद में एक नई दिशा में बढ़ रही है। इस योजना के तहत, फरीदाबाद नगर निगम ने गांवों में बसे लोगों को उनके लाल डोरा की ज़मीन पर मालिकाना हक देने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। अब फरीदाबाद नगर निगम ने यह निर्णय लिया है कि वे गाँव-गाँव जाकर एक सर्वे करेंगे और वहां के लोगों को उनके घरों का मालिकाना हक देने के लिए प्रमाणपत्र जारी करेंगे।
क्या है लाल डोरा योजना?
लाल डोरा योजना एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसके अंतर्गत, लाल डोरा क्षेत्र में बसे लोग जिनके पास ज़मीन के स्वामित्व का कोई अधिकार नहीं है, उन्हें अब मालिकाना हक मिल सकेगा। यह योजना ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को अपने घरों और दुकानों का आधिकारिक स्वामित्व देने के लिए शुरू की गई थी। मनोहर लाल खट्टर की सरकार के तहत, यह योजना राज्य में ग्रामीणों के लिए बड़ा बदलाव लेकर आई है, जिससे वे अब अपनी ज़मीन को कानूनी तौर पर पंजीकरण करवा सकते हैं।
फरीदाबाद नगर निगम का बड़ा कदम
फरीदाबाद नगर निगम ने लाल डोरा की ज़मीन पर बसे लोगों को मालिकाना हक देने के लिए व्यापक रूप से काम शुरू कर दिया है। नगर निगम की टीम अब गांव-गांव जाकर एक सर्वे कर रही है, और गाँव के नंबरदार की रिपोर्ट के आधार पर, इन लोगों को केवल एक रुपया लेकर उनके घरों का पंजीकरण करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इस प्रक्रिया के अंतर्गत, नगर निगम इन लोगों को मालिकाना प्रमाणपत्र भी प्रदान करेगा।

नगर निगम अधिकारियों के अनुसार, इस योजना के तहत, मार्च तक लोगों को उनके घरों के स्वामित्व के प्रमाणपत्र मिल जाएंगे। इसके बाद, इन घरों की पंजीकरण प्रक्रिया केवल कलेक्टर दर पर की जाएगी। वर्तमान में, जिन लोगों के पास लाल डोरा की ज़मीन पर घर हैं, उनके पास घर या दुकान के मालिकाना कागजात नहीं हैं। अब इस योजना के माध्यम से उन्हें कानूनी रूप से स्वामित्व मिल सकेगा।
सर्वे के लिए टीमों का गठन
नगर निगम ने योजना को सही तरीके से लागू करने के लिए प्रत्येक जोन में टीमों का गठन किया है। ये टीमें दरवाजे-दरवाजे जाकर सर्वे कर रही हैं और लोगों को इस योजना के बारे में जागरूक कर रही हैं। नगर निगम का मुख्य उद्देश्य लोगों को इसके फायदे के बारे में बताना है ताकि वे आगे आकर अपने संपत्ति का मालिकाना प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकें।
क्या हैं इसके फायदे?
इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह है कि अब जिनके पास ज़मीन के कागजात नहीं थे, वे अब उन्हें कानूनी रूप से स्वामित्व का अधिकार प्राप्त करेंगे। मालिकाना हक मिलने के बाद, अब वे अपनी संपत्ति को गिरवी रखकर बैंक से लोन भी ले सकेंगे। इसके अलावा, संपत्ति का खरीद-फरोख्त करना भी अब आसान हो जाएगा। यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो ग्रामीणों के लिए आर्थिक स्वतंत्रता की दिशा में एक बड़ा बदलाव साबित होगा।
कुछ आपत्तियाँ भी हैं
हालांकि, इस योजना का लाभ कुछ लोग लेने के लिए इच्छुक नहीं हैं। कुछ स्थानों पर ग्रामीणों का कहना है कि अगर उन्हें घर के मालिकाना हक के दस्तावेज मिलते हैं, तो उन्हें घर कर का भुगतान भी करना होगा। इस पर नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि घर कर केवल 99.99 गज तक खाली प्लॉट पर लागू नहीं होता।
यदि किसी घर का ग्राउंड फ्लोर 100 गज की ज़मीन पर है, तो सालाना 100 रुपये का घर कर देना पड़ेगा। इसके अलावा, यदि ज़मीन 150 गज पर है, तो 150 रुपये का घर कर देना होगा। घर कर की दरें ज़मीन के आकार के आधार पर तय की जाएंगी।
लोगों की चिंता और समाधान
इस योजना के बावजूद कुछ लोग घर कर के मुद्दे को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि घर कर का भुगतान उनकी मासिक आय पर अतिरिक्त बोझ डाल सकता है। हालांकि, नगर निगम ने यह साफ कर दिया है कि घर कर केवल उन लोगों से लिया जाएगा जिनके पास संपत्ति है और उनकी ज़मीन की कुल माप 100 गज से अधिक है।
निगम अधिकारियों का कहना है कि यह योजना ग्रामीणों के लिए एक सशक्तिकरण का कदम है, जिससे उन्हें अपनी संपत्ति का स्वामित्व मिल सकेगा और वे सामाजिक-आर्थिक रूप से अधिक सशक्त होंगे।
फरीदाबाद नगर निगम द्वारा शुरू की गई लाल डोरा योजना ग्रामीणों के लिए एक बड़ी राहत साबित हो सकती है। इसके तहत, उन्हें उनकी ज़मीन पर स्वामित्व मिल सकेगा, जिससे उनकी संपत्ति की कानूनी स्थिति मजबूत होगी और वे अपनी संपत्ति को गिरवी रखकर बैंक से लोन भी ले सकेंगे।
हालांकि, कुछ स्थानों पर घर कर को लेकर चिंता है, लेकिन निगम ने इसे स्पष्ट किया है कि यह कर केवल उन पर लागू होगा जिनके पास 100 गज से बड़ी ज़मीन है। इस योजना से ग्रामीणों की जीवन-स्तर में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है, और यह कदम सरकार की ओर से ग्रामीण सशक्तिकरण की दिशा में एक अहम पहल है।
















