Kisan Andolan: लखीमपुर खीरी का बहानाः मकसद योगेंद्र यादव को चुप कराना

हरियाणाः सुनील चौहान।  संयुक्त किसान मोर्चा के कद्दावर नेता और मुखर वक्ता रहे योगेंद्र यादव पर कार्रवाई अप्रत्याशित नहीं है। यह मोर्चा की राजनीति का हिस्सा है। इसकी पटकथा 17 अक्टूबर को उसी समय तैयार कर ली गई थी, जब निहंगों ने योगेंद्र यादव पर निशाना साधा था। दरअसल, 15 अक्टूबर को निहंगों द्वारा नृशंसता से की गई हत्या के बाद योगेंद्र यादव ने निहंगों को आड़े हाथों लेकर इसकी निदा करते हुए आरोपितों पर सख्त कार्रवाई का बयान दिया था। इसके बाद से ही वे कृषि कानून विरोधी प्रदर्शन की अग्रिम पंक्ति में खड़े निहंगों के निशाने पर आ गए थे

हंगों का मानना है कि मोर्चा के अहम नेता योगेंद्र यादव के बयान के बाद ही मामला ज्यादा तूल पकड़ गया और बेअदबी वाली बात दब गई। इसके बाद ही मोर्चा ने भी इसकी निदा करते हुए खुद को निहंगों से अलग कर लिया और उन्हें प्रदर्शन का हिस्सा मानने से इन्कार कर दिया। इसे देखते हुए निहंगों ने मोर्चा नेताओं के खिलाफ सख्त नाराजगी जताते हुए प्रदर्शन में अपनी सहभागिता पर दोबारा से विचार करने की चेतावनी दी हुई है। इसके लिए 27 अक्टूबर को निहंगों ने महापंचायत का आयोजन किया है। मोर्चा भी समझ रहा है कि यदि प्रदर्शन से निहंग चले गए तो उन्हें कई तरह का नुकसान हो सकता है, इसलिए निहंगों की महापंचायत से पहले ही एसकेएम (संयुक्त किसान मोर्चा) ने लखीमपुर खीरी के बहाने योगेंद्र यादव पर कार्रवाई करके निहंगों को साधने का प्रयास किया है, ताकि वे प्रदर्शन स्थल से वापस जाने या मोर्चे से अलग होने की न सोचें। साथ ही मोर्चा यह भी संदेश देना चाहती है कि इस प्रदर्शन की अगुवाई पंजाब, सिख और निहंग ही कर रहे हैं।

बयान देकर फंसे योगेंद्र : निहंगों ने जिस प्रकार 15 अक्टूबर को लखबीर की नृशंस हत्या की, उससे हर कोई हतप्रभ है। मोर्चा नेताओं की ओर से भी इस हत्याकांड के खिलाफ बयान जारी किए गए। उनकी ओर से निहंगों के साथ नहीं होने, हत्या की निदा करने और निहंगों पर कानून सम्मत कार्रवाई के बयान दिए गए। इसमें सबसे ज्यादा वायरल 15 अक्टूबर की दोपहर को जारी योगेंद्र यादव का बयान हुआ था, जबकि निहंग नृशंस हत्या को सही ठहरा रहे हैं और धर्म ग्रंथ की बेअदबी होने पर फिर ऐसी हत्या की धमकी दे रहे हैं।

बयान को पुलिस कार्रवाई से जोड़ा : निहंगों का मानना है कि संयुक्त किसान मोर्चा के बयानों से पुलिस को बल मिला और वह कार्रवाई की हिम्मत जुटा सकी। यदि मोर्चा नेता उनके साथ खड़े होते और बेअदबी करने वाले की हत्या करने को जायज ठहराते तो पुलिस कार्रवाई नहीं करती। मोर्चा नेताओं, खासकर योगेंद्र यादव ने जिस प्रकार निहंगों की निदा की और उनके कारण प्रदर्शन को कई बार विवादित होने के बयान दिए, इससे निहंग आग बबूला हो गए। बाबा अमनदीप और बाबा राजाराम सिंह खुलकर सामने आ गए और योगेंद्र यादव के बयान को आधार बनाकर महापंचायत बुलाने और प्रदर्शन स्थल पर रहने पर विचार करने का ऐलान कर दिया।

निहंगों को मनाने का प्रयास : मोर्चा ने मंगलवार को पहले वारदात को राजनीतिक साजिश करार दिया, उसके बाद निहंगों को अपना साथी बताया। प्रदर्शन की अग्रिम पंक्ति में उनकी जरूरत बताई गई। उसके बाद पंजाब के प्रदर्शनकारियों ने धर्म और किसान को एक ही बताकर डैमेज कंट्रोल करने का प्रयास किया गया। बृहस्पतिवार दोपहर को पांच सदस्यीय कमेटी बनाकर कथित साजिश की जांच के नाम पर निहंगों को मनाने का प्रयास किया गया। शाम को ब्रह्मास्त्र के रूप में योगेंद्र यादव पर कार्रवाई कर निहंगों को शांत करने का प्रयास किया गया। मोर्चा हर हाल में निहंगों को साथ में रखना चाहता है।