Haryana news: डीएलएफ फेज-1 से 5 तक के क्षेत्रों में अवैध निर्माण और रिहायशी मकानों में चल रही व्यावसायिक गतिविधियों पर सीलिंग की तलवार लटकी हुई है। इसी मामले को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। बताया जा रहा है इसी को लेकर अब 23 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने 13 फरवरी 2024 को अपने आदेश में डीएलएफ फेज-1 से 5 तक के रिहायशी इलाकों में अवैध निर्माण व व्यावसायिक गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे । इसी को लेकर 19 अप्रैल तक एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी थी।
कारण बताओ नोटिस जारी: गुरूग्राम में में डीटीपीई की ओर से 4500 से अधिक मकानों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे। इतना ही नहीं 2200 मकानों के लिए रेस्टोरेशन आदेश जारी करते हुए उनके आक्यूपेशन सर्टिफिकेट रद और बिजली, पानी व सीवर कनेक्शन काटने की सिफारिश डीटीपी प्लानिंग को भेजी गई थी।
फैसले पर टिकी निगाहे: इस आदेश् के बाद सबकी निगोह कोर्ट पर टिकी हुई है। देखना यह होगा कि सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई में इस गहन विवाद पर क्या फैसला सामने आता है। इस मामले में डीएलएफ कुतुब एन्क्लेव आरडब्लूए, फेज-3 और फेज-5 के निवासियों समेत कई पक्षों द्वारा चार अप्रैल को कुल 16 स्पेशल लीव पिटीशन दाखिल की गई थी।
कोर्ट ने विभिन्न पक्षों को रिजाइंडर फाइल करने के लिए समय दिया और अब अगली सुनवाई 23 सितंबर को निर्धारित की गई है। कानूनी जानकारों की मानें तो इस तारीख पर इस लंबे मय से चल रहे मामले में फैसला आ सकता है।
राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने एक बार फिर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के आदेशों को पूरी तरह उचित बताया और विशेष रूप से ईडब्ल्यूएस (ईडब्लूएस) वर्ग के मकानों में हुए अवैध निर्माणों का मुद्दा जोरदार तरीके से कोर्ट के समक्ष रखा।

















