
Haryana news: हरियाणा सरकार ने भले ही ग्राम पंचायतों को यह अधिकार दे दिया हो कि वे अपने गांवों में शराब बिक्री पर प्रतिबंध लगा सकती हैं, लेकिन नई आबकारी नीति और नियमों की जटिलता पंचायतों के इन अधिकारों पर भारी पड़ रही है। रेवाड़ी जिले की 29 पंचायतों ने वर्ष 2025-26 के लिए शराब के ठेके न खोलने संबंधी प्रस्ताव पारित कर सरकार को भेजे थे, लेकिन इनमें से सिर्फ 13 गांवों के प्रस्तावों को ही मंजूरी दी गई है, जबकि 16 गांवों के आवेदन रिजेक्ट कर दिए गए।Haryana news
क्या है नियमों का पेंच:
पंचायतें यदि 31 दिसंबर तक ग्राम सभा की बैठक में शराबबंदी का प्रस्ताव पास कर उसे संबंधित खंड विकास अधिकारी (BDPO) के माध्यम से आबकारी विभाग को भेज देती हैं, तो उस पर विचार किया जाता है। लेकिन अंतिम निर्णय आबकारी विभाग के रिकॉर्ड और नियमों के आधार पर होता है।
नए नियमों के तहत अगर किसी गांव में कभी भी अवैध शराब पकड़ी गई हो, तो वहां शराब का ठेका बंद नहीं किया जा सकता। साथ ही यदि आवेदन प्रक्रिया में कोई तकनीकी चूक हो जाए, तो भी प्रस्ताव निरस्त कर दिया जाता है।
एक और शर्त यह है कि जिस गांव में ठेका बंद किया जाएगा, वहां भी यह बंदी केवल एक वर्ष के लिए मान्य होगी। इसके बाद हर साल प्रस्ताव को दोबारा पास कराना अनिवार्य होगा।
इन 13 गांवों में लागू होगी शराबबंदी:
बाबडोली, भाड़ावास, करनावास, पावटी, नंगलिया रणमौख, नैनसुखपुरा, मुरलीपुर, गुर्जर माजरी, भटसाना, बेरली खुर्द, जखाला, प्राणपुरा और एक अन्य गांव में वर्ष 2025-26 के लिए शराब के ठेके नहीं खोले जाएंगे। इनके प्रस्तावों को आबकारी विभाग ने स्वीकृति दे दी है।
इन गांवों के प्रस्ताव हुए खारिज:
मालाहेड़ा, बिहारीपुर, असदपुर, मांढैया खुर्द, ततारपुर इस्तमुरार, कतोटपुर बुजुर्ग, नेहरूगढ़, किशनपुर, कृष्णनगर, जाहिदपुर, भूरथला, माजरी दुदा और आराम नगर कनूका जैसे गांवों के प्रस्ताव विभिन्न तकनीकी और नियमगत कारणों से अस्वीकार कर दिए गए हैं।
बता दे हरियाणा में कई पंचायतें गांवों में शराबबंदी को लेकर गंभीर हैं, लेकिन आबकारी विभाग की नीति और शर्तें इतनी सख्त हैं कि चाहकर भी कई पंचायतें अपने गांवों में ठेके नहीं रोक पा रहीं। सवाल यह भी उठता है कि क्या पंचायतों को दिया गया अधिकार महज औपचारिकता है या फिर वास्तव में उसे लागू करने का अवसर भी मिलेगा।