Haryana News: हरियाणा में हाल ही में हुई भारी बारिश और तेज हवाओं ने किसानों और मंडियों में धान की फसल पर संकट खड़ा कर दिया है। सोमवार को प्रदेश के 16 जिलों में हुई वर्षा के कारण मंडियों में रखा लगभग 3,74,644 टन धान भीग गया, जिसकी अनुमानित कीमत 6,875 करोड़ रुपये है। खेतों में भी स्थिति गंभीर बनी हुई है। तेज हवाओं और बारिश के चलते 38.50 लाख एकड़ में खड़ी बासमती धान की फसल प्रभावित हुई है। इसके चलते प्रति एकड़ 2 से 3 क्विंटल तक उत्पादन में कमी की संभावना है।
इस साल हरियाणा में कुल 32.50 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई हुई थी। प्रशासन ने दावा किया था कि बारिश से धान को बचाया जाएगा, लेकिन हकीकत यह है कि हजारों टन धान खुले में पड़ा रहा और भीग गया। किसानों ने अपने स्तर पर तिरपाल और अन्य उपायों से धान को ढकने की कोशिश की, लेकिन तेज बारिश और हवाओं के आगे यह प्रयास सफल नहीं हो सका।
सोमवार शाम तक प्रदेश की 17 जिलों की मंडियों में कुल 15,08,310 टन पीआर धान की आवक हुई, जिसमें से 11,33,666 टन की ही सरकारी खरीद हो पाई। शेष 3,74,644 टन धान खुले आसमान के नीचे पड़ा है। करनाल मंडी में अब तक 2,01,464 एमटी धान की खरीद हुई, लेकिन केवल 74,983 एमटी का उठान हो सका है। यहां मंडी में करीब 1,91,020 एमटी धान पड़ा हुआ है। असंध की मंडी इस मामले में सबसे ज्यादा प्रभावित रही।
प्रदेश की 15 जिलों में पीआर धान की सरकारी खरीद जारी है, लेकिन चरखी दादरी और रेवाड़ी में यह प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हो सकी है। मौसम विभाग ने आने वाले दो दिनों में फिर से तेज बारिश और हवाओं की चेतावनी दी है, जिससे संकट और बढ़ सकता है।
यमुनानगर के खजूरी गांव के किसान प्रताप चौहान ने कहा कि किसानों को भी उद्योगपतियों की तरह नुकसान पर राहत पैकेज मिलना चाहिए। मंडियों में सुविधाओं की कमी, उठान की धीमी प्रक्रिया और अब बारिश के कारण धान पूरी तरह बर्बाद हो गया है।

















