Haryana News: हरियाणा के कस्बा धारूहेड़ा निवासी डॉक्टर अश्विनी शास्त्री को वर्ष 2025 के पद्म विभूषण सुंदरलाल बहुगुणा समिति सम्मान प्रदान किया गया है। विगत दिवस दिल्ली में आयोजित एक सम्मान समारोह में विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त महामंत्री वेंकट कोटेश्वर जी एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा डॉक्टर शास्त्री को यह सम्मान प्रदान किया गया।Haryana News
राज्य उच्च अध्ययन शिक्षण शिक्षण संस्थान, गुरुग्राम में सहायक आचार्य संस्कृतविद डॉ. अश्विनी शास्त्री को यह सम्मान संस्कृत सेवा और पर्यावरण संवर्धन के उनके कार्यों के लिए दिया गया है। यह सम्मान प्रति वर्ष पर्वतीय लोक विकास समिति दिल्ली और भारत संस्कृत परिषद द्वारा संस्कृत की सेवा करने वाले संस्कृत विद्वानों और पर्यावरण के संवर्धन में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले लोगों को संयुक्त रूप से प्रदान किया जाता है। डॉ.अश्विनी शास्त्री वर्तमान में विश्व हिंदू परिषद संस्कृत आयाम के हरियाणा प्रांत के प्रमुख है।
विगत दिवस वसंत विहार, दिल्ली में आयोजित एक भव्य समारोह में संस्कृत विद्वानों और पर्यावरणविदों की उपस्थिति में देशभर के दस विद्वानों को यह सम्मान दिया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में हिमाचल संस्कृत अकादमी के पूर्व निदेशक प्रोफेसर गणेश दत्त भारद्वाज उपस्थित रहे वहीं अति विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ के डीन प्रोफेसर देवी प्रसाद त्रिपाठी, विशिष्ट अतिथि हरियाणा संस्कृत अकादमी के पूर्व निदेशक एवं पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी डॉ दिनेश शास्त्री, दिल्ली विश्वविद्यालय की दिल्ली स्कूल आफ जर्नलिज्म के संस्थापक निदेशक प्रोफेसर जयप्रकाश दुबे, रक्षा मंत्रालय के पूर्व निदेशक प्रोफेसर नीलांबर पांडे, हरियाणा साहित्य एवं संस्कृत अकादमी के साहित्य प्रकोष्ठ के निदेशक डॉक्टर चितरंजन दयाल कौशल एवं वरिष्ठ शिक्षाविद तथा पर्वतीय लोक विकास समिति के अध्यक्ष डॉ. सूर्य प्रकाश सेमवाल सहित अनेक गणमान्य लोगों के हाथों से यह सम्मान प्राप्त हुआ। समारोह की अध्यक्षता ले.ज.(से.नि.) ए.एस.रावत ने की।
गौरतलब है कि डॉक्टर अश्विनी शास्त्री पर्यावरण के संवर्धन हेतु एवं संस्कृत की सेवा में निरंतर कई वर्षों से कार्य कर रहे हैं।राज्य उच्च अध्ययन शिक्षण शिक्षण संस्थान, गुरुग्राम में सहायक आचार्य संस्कृतविद डॉ. अश्विनी शास्त्री की अभी तक संस्कृत तथा अन्य भाषाओं में छह पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। संस्कृत भाषा का प्रचार और प्रसार करना, लोगों को संस्कृत से जोड़ना और उन्हें संस्कृत पढ़ने के लिए प्रेरित करना तथा संस्कृत के ग्रंथो को सरल संस्कृत में लोगों तक पहुंचाना विगत कई वर्षों से जारी है। डॉ. अश्विनी शास्त्री के अनुसार संस्कृत भाषा न केवल विश्व की प्राचीनतम भाषा है अपितु इसमें भारतीय संस्कृति और साहित्य का संपूर्ण भंडार व्याप्त है।
भारत को समझने और भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का विशुद्ध ज्ञान प्राप्त करने के लिए संस्कृत भाषा का ज्ञान होना अति अनिवार्य है। इसके लिए हम सभी को सतत प्रयास करते रहना चाहिए। पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन भी इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है जिसके लिए सभी को आगे आना चाहिए। इस अवसर पर क्षेत्र के विभिन्न सामाजिक राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों ने डॉक्टर अश्विनी शास्त्री को सम्मान के लिए बधाई प्रेषित की है।Haryana News
पूर्व में भारत संस्कृत परिषद एवं पर्वतीय लोक विकास समिति, दिल्ली द्वारा समस्त देश के दस लोगों का चयन सुंदरलाल बहुगुणा स्मृति सम्मान के लिए किया गया था जिन्होंने संस्कृत सेवा और पर्यावरण के संरक्षण हेतु अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
राज्य उच्च अध्ययन शिक्षण शिक्षण संस्थान, गुरुग्राम में सहायक आचार्य संस्कृतविद डॉक्टर अश्विनी शास्त्री के अतिरिक्त सुंदरलाल बहुगुणा स्मृति सम्मान डीडीए के सेवानिवृत्त पूर्व अधिकारी रोशन बडोला, उत्तराखंड के शिक्षाविद डॉक्टर सूर्य मोहन भट्ट, दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार चंद्र मोहन पपनै, लोक भाषा आंदोलनकारी एवं वरिष्ठ कवि दिनेश ध्यानी, महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय कैथल के प्रोफेसर कृष्ण चंद्र पांडे, राज्यसभा में निदेशक मीना कंडवाल, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ दिल्ली के वास्तु विभाग के प्राध्यापक प्रोफेसर अशोक थपलियाल, दिल्ली विश्वविद्यालय के कमला नेहरू महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ ग्रीन अवस्थी और मेरठ उत्तर प्रदेश के सरकारी विद्यालय के प्रधानाचार्य चंद्रमोहन शर्मा सहित देश भर के दस लोगों को पद्म विभूषण सुंदरलाल बहुगुणा स्मृति सम्मान दिया गया है।

















