Haryana news: भारत में शिक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव के लिए नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 को पेश किया गया था, जो देश भर में शिक्षा प्रणाली को सुधारने और नए सिरे से दिशा देने के उद्देश्य से बनाई गई है। इस नीति के तहत देश भर के स्कूलों में कई बदलावों की घोषणा की गई है, और अब ओडिशा सरकार ने इस नीति को लागू करने के लिए कदम उठाए हैं।
यह नीति शैक्षिक वर्ष 2025-26 से प्रभावी होगी। खासतौर पर, पहली कक्षा में बच्चों की प्रवेश उम्र के लिए नए दिशा-निर्देशों को लागू किया गया है, ताकि बच्चों को शिक्षा की शुरुआत सही समय पर हो और वे मानसिक और शारीरिक रूप से स्कूल के लिए तैयार रहें।
नई शिक्षा नीति के तहत बदलाव: पहली कक्षा में प्रवेश की उम्र
नई शिक्षा नीति के अंतर्गत सबसे महत्वपूर्ण बदलावों में से एक है, पहली कक्षा में बच्चों की प्रवेश की उम्र में बदलाव। अब तक, विभिन्न राज्यों में विभिन्न आयु सीमा पर बच्चों को पहली कक्षा में प्रवेश दिया जाता था, लेकिन नई नीति के तहत यह निर्णय लिया गया है कि 6 वर्ष की आयु तक के बच्चों को पहली कक्षा में प्रवेश के लिए पात्र माना जाएगा। यह कदम बच्चों के मानसिक विकास और शिक्षा के प्रारंभिक वर्षों में उनकी बेहतर तैयारी के लिए उठाया गया है।
ओडिशा सरकार ने इस संदर्भ में एक नोटिफिकेशन जारी किया है, जिसमें बच्चों की उम्र और अन्य दिशा-निर्देशों के बारे में जानकारी दी गई है। सरकार का उद्देश्य बच्चों को सही समय पर शिक्षा देने के लिए उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करना है, ताकि उनका समग्र विकास हो सके। इसके अलावा, बच्चों को बुनियादी शिक्षा देने के लिए एक नई प्रणाली शुरू की जा रही है, जो उनके सीखने की प्रक्रिया को प्रभावी और सरल बनाएगी।
शिशु वाटिका का महत्व: बच्चों के लिए एक नई शुरुआत
नई शिक्षा नीति के तहत, सरकार 2025-26 से एक नई प्री-स्कूल क्लास शुरू करेगी, जिसका नाम ‘शिशु वाटिका’ रखा गया है। यह क्लास उन बच्चों के लिए होगी जिनकी उम्र 5 से 6 साल होगी। इस क्लास का उद्देश्य बच्चों को पहली कक्षा में दाखिला लेने से पहले शिक्षा की बुनियादी समझ देना है, ताकि वे पहली कक्षा के लिए तैयार हों। यह प्री-स्कूल शिक्षा बच्चों को खेलने और गतिविधियों के माध्यम से उनके ज्ञान और समझ को बढ़ावा देने का एक शानदार तरीका है।
‘शिशु वाटिका’ में बच्चों को पढ़ाई की शुरुआत से पहले कई महत्वपूर्ण जीवन कौशल, सामाजिक ज्ञान और भावनात्मक विकास सिखाया जाएगा। इस क्लास में बच्चों को खेलने के माध्यम से सीखने का अवसर मिलेगा, जिससे उनका मानसिक विकास तेज़ी से होगा। इस शिक्षा प्रणाली में बच्चों को उनकी उम्र के हिसाब से गतिविधियाँ दी जाएंगी, जो उनके कौशल और समझ को बढ़ावा देंगी।
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे (NCF) का पालन
नई शिक्षा नीति के अंतर्गत, बच्चों की शिक्षा के लिए एक राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा (NCF) भी लागू किया जाएगा। इसका उद्देश्य बच्चों की शिक्षा को स्थानीय सांस्कृतिक और सामाजिक आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलित करना है। सरकार का उद्देश्य यह है कि बच्चों को सिर्फ शैक्षिक विषयों में ही नहीं, बल्कि उनके आस-पास की दुनिया और संस्कृति के बारे में भी बेहतर समझ मिले।
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा बच्चों को न केवल किताबों से पढ़ाई के लिए प्रेरित करेगा, बल्कि उन्हें उनके आसपास की दुनिया से जोड़ने के लिए भी कदम उठाएगा। इससे बच्चों का समग्र विकास होगा और वे अपनी संस्कृति और समाज से जुड़कर शिक्षा प्राप्त करेंगे। यह कदम बच्चों को अधिक सृजनात्मक और सोच-समझ कर काम करने के लिए प्रेरित करेगा।
शिक्षा में गतिविधियों और खेलों का योगदान
नई शिक्षा नीति के अंतर्गत, शिक्षा को बच्चों के लिए और अधिक आकर्षक और प्रभावी बनाने के लिए गतिविधियाँ और खेलों का महत्वपूर्ण योगदान होगा। पहली और दूसरी कक्षा में शिक्षा को गतिविधियों और खेलों के माध्यम से प्रदान किया जाएगा। यह गतिविधियाँ बच्चों को विषयों में रुचि पैदा करने के लिए डिज़ाइन की जाएंगी, जिससे उनका मानसिक विकास अधिक तेज़ी से हो।
इसके बाद, तीसरी से पांचवीं कक्षा तक बच्चों को बुनियादी विषयों जैसे गणित, विज्ञान और भाषा की शिक्षा दी जाएगी, लेकिन इस चरण में भी बच्चों के मानसिक विकास और उनकी सोचने की क्षमता को बढ़ावा देने के लिए खेल और गतिविधियाँ शामिल की जाएंगी।
व्यावहारिक ज्ञान और कौशल पर ध्यान केंद्रित
नई शिक्षा नीति के तहत, 6वीं से 8वीं कक्षा तक शिक्षा में बच्चों के व्यावहारिक ज्ञान और कौशल को प्राथमिकता दी जाएगी। इस चरण में बच्चों को विषयों की बुनियादी समझ दी जाएगी, लेकिन उनका ध्यान केवल पाठ्यक्रम पर नहीं होगा, बल्कि उनका ध्यान इस बात पर भी होगा कि वे उन विषयों को अपने जीवन में किस प्रकार उपयोग कर सकते हैं। इससे बच्चों को रोजगार और जीवन कौशल की दिशा में भी मदद मिलेगी, क्योंकि वे अपनी शिक्षा को वास्तविक दुनिया से जोड़ सकेंगे।
नई शिक्षा नीति में बच्चों के बुनियादी शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक के हर पहलू को ध्यान में रखा गया है। इसमें बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए एक उचित संरचना प्रदान की गई है, जो उनके भविष्य के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। इस नीति का उद्देश्य बच्चों को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से मजबूत बनाना है, ताकि वे भविष्य में अच्छे नागरिक और जिम्मेदार व्यक्तित्व बन सकें।